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* प्रबन्धावली*
* १९७* देखिये! मिस कैथरिन वल नाम की एक प्रसिद्ध अमेरिकन विदुषी जो संसार भ्रमण के लिये निकली है, थोड़े ही दिन हुए कल.
फत्ते आई हैं। आप क्यालिफोर्णिया के अंतर्गत स्यानफ्रांसिस्को के विद्यालय में शिल्पकला का अध्ययन करती हैं। सन् १९२६ में आपने सैकड़ों चित्रों से सुशोभित 'डेकोरेटिव मोटिव्स आफ़ ओरिएण्टल आर्ट' ( Decorative motives of Oriental Art ) नामक एक पुस्तक लिखी है। उस के पृष्ठ २२३ में 'मयूर' पर आप का जो विवरण है उस का कुछ अंश हमारे पाठकों के कौतुहलार्थ नीचे उद्धृत किया जाता है
"Another deity shown using the peacock for a mount, is of the five manifestations of Kokuzo, the Hindu Akasa Garbha, a God of wisdom, while again among the Jains of Tibet of the five celebrated Buddhas, the meditative Dhyani of the west also uses a peacock for the same purpose."
उपरोक्त अंश देने का तात्पर्य इतना ही है कि निब्बत में भी जैन. धर्मावलम्बी हैं ऐसी अमेरिका निवासियों की भ्रमात्मक धारणा अब तक है, परन्तु तिब्बत में एक भी जैनी नहीं है।
इसी प्रकार सारे सभ्य संसार में अपने जैनियों और जैनधर्म के विषय में नाना प्रकार के भ्रममूलक सिद्धान्त देखने में आते हैं। ऐसे फैले हुए विरुद्ध भ्रमों को दूर करना अत्यावश्यक है।
'आत्मानन्द' (जनवरी-फरवरी १६३१, वर्ष २ अङ्क १, पृ० ३१.३३) Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat
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