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• प्रबन्धावली.
कही जा सकती, इसम 'नमस्कार', 'सुखी' 'आनंद', 'धीररस' आदि संस्कृत शब्द उसी प्रकार आये हैं, जिस प्रकार आजकल आते हैं। यह हिन्दी खड़ी बोली है।" ___ कवि जटमल ने मेवाड़ की रानी पद्मावती की कथा लिखी, इसलिए शुक्जी ने उनका मेवाड़ का रहनेवाला बताया है। यह ठीक नहीं है. क्या कि वे लाहोरके निकटवर्ती प्रामके रहनेवाले थे। शुक्लजी ने इस वर्णन में खड़ी वोली के शब्दोंपर जो कुछ विवेचन किया है, उसपर यहाँ कुछ कहना अनावश्यक है ।.
फिर रायबहादुर श्यामसुन्दरदासजी ने 'हिन्दी भाषा और साहित्य' नामक एक विशाल प्रन्थ प्रकाशित किया। उस पुस्तक के १० ४६० पर भी इसी भ्रमवश उन्होंने जटमल को गद्य-लेखक माना है। परन्तु जहां तक मेरा खयाल है, कवि जटमलने गद्य में एक भी रचना नहीं की।
इन लेखकों के बाद पं. रामशंकरखी शुक्ल 'रसाल' एम० ए० का भी सन् १९३१ में हिन्दी साहित्य का इतिहास' प्रकाशित हुआ है। इस प्रथमें भी उन्हों ने गोरा बादल की कथापर भ्रमवश जो टिप्पणी लिस्त्री है, उसे यहाँ उद्धृत किया जाता है___ "गोरा बादल की कथा-बड़ी गोली को प्राधान्य देते हुए सं० १९८० में जटमल कविने इसे गद्य में लिखा। गंगके बाद यही प.वि खड़ी बोली गद्य का द्वितीय प्रधान लेखक कहा गया है। इसको भाषा बहुत कुछ ब्रजभाषासे प्रभावित है। कारकादि के रुप तो खड़ी बोली के रूपों से मिलते है, किन्तु क्रियाओं के रूप ब्रजभाषाको ओर झुकते हैं।
बद्रीनाथ भट्ट पो० ५०, हिन्दी-अध्यापक, लखनऊ-विश्वविद्या. लय ने हिन्दी की उत्पत्ति और हिन्दीसाहित्यके विकासपर हिन्द।' नामक पुस्तक लिखी है, जिसकी तुतोषावृत्तिके पृ० ३५-३६ पर इस
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