________________
॥ श्रीः ॥
भूमिका कहने की कोई आवश्य कता नहीं हैं, कि माज कल सभ्य संसार पुस्तके महत्व तथा उपयोगिताको समझने लग गया है और उसकी दृष्टि पुस्तकोंका प्रणयन एवं प्रकाशनकी ओर आकृष्ट हुई है एवं नित्य नयी नयी पुस्तकोंका माविर्भाव हो रहा है। सबसे अधिक हर्ष की बात यह है, कि इन दिनों अधिक पुस्तकें सामाजिक धार्मिक तथा ऐतिहासिक लिखी जा रही है, यह देश के लिये भावी उन्नति तथा सौभाग्यका सूचक है। ___यह प्राकृत पुस्लक (पटनेका इतिहास ) जिसके विषय में मैं दो पक शम्द लिखनेको प्रस्तुतु हुमा हं यह ऐतिहासिक पुस्त. कंके लेखक...३१...पांशतल्ला गल्ली जैन पोसालके अध्यक्ष जैन गुरु पं०७० श्रीमान् सूर्यमलजी यति है और प्रकाशक श्री संघ पटना है।
यद्यपि यह पुस्तक आकारमें बहुत छोटी होनेके कारण इस पुस्तकमें इतिहास को बहुत सी मावश्यकीय गति लिखी न जासकी है तो भी यह पुस्तक बहुत उपयोगी तथा विशेष भादरणीय है।
इस पुस्तकमें सभी बातें उपयुक्त तथा प्रामाणिक लिखी हुई है व्यर्थ तथा अनावश्यक एक भी बात नहीं है।
Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat
www.umaragyanbhandar.com