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( ४७ ) तया में है, उतनी बड़ो और लम्बी माजकल ही देखने या सुनने में नहीं पातीं। इनके अतिरिक अन्यान्य अल-शस्त्र भो बहुत बड़े भाकारके है। ये सब शस्त्रास्र बिनके हैं और यहा क्यों रखे गये है, इत्यादि बाते पहनेपर उनका पूरा-पूरा वृत्तान्त वहांके महन्त बहुत सम्मानके साथ लोगोंको सुनाते है.। सिक्वका विश्वास है, कि गुरु गोबिन्द सिंह फिर एक बार यहां आयेंगे। उस समय मन्दिरके भीतर रखो हुई सलवार मापसे आप ऊपरको उठ जायेगी तथा कुएंका जल सारोसे मीठा हो जायेगा। अगरेज भी इस स्थानको सम्मान की दृष्टिसे देजते हैं। प्रायः इस स्थानके प्रबन्धकी देख-रेखका भार मंशतः यहांके प्रधान जजके ऊपर भी रहता है। इसकी शाखा और भी कई नगरों में है। कलकत्ते में हरिसन् रोडकी बड़ा संगत इसकी शाखा है। यह स्थान भाऊगंज महल्लेके पास स्वनाम धन्य महल्ले में है। .
इमक अतिरिक्त मनी संगत, नून गोला की संगत पशिम दरवाजको मंगत आदि कई स्थान सिपवा तथा नानक शाहियों के है, जो परम भव्य तथा प्रभावोत्पादक है।।
मुस्लिम-स्मारक-मुसलमान पादशाहों तथा सिद्ध फकीरों (प्रालिम, पीर, औलिया के भी कितने ही स्मारक स्थान है। जैसे-पत्थरकी मसजिद की दरगाह, पक्को दरगाह, त्रिपोलिया, छोटी मथनी यदा मगनी आदि। ये:सब स्थान शहरके अनेक महलोंमें हैं। मुसलमान इन स्थानोंको बड़े भादरसे देखते हैं। Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com