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( ७ ) तटपर एक ऐसा रम्य स्थान है, कि यदि वहां नगर बसाया जाये, सो राज्यकी वृद्धि होगी और प्रजाको मो एवं प्रकारका सुख होगा।" उन्हीं नैमित्तिकों से एक वृद्ध नैमित्तिकने पाटलिवृक्षकी उत्पत्तिके विषय में निम्नलिखित (उपाख्यान) कथाका वर्णन किया।
पाटलि बक्षकी उत्पत्ति तथा । अनिका पुत्राचार्यका चरित्र।
इसी मगध-देशमें मथुरा नामके दो नगर थे; एक उत्तर मथुरा और दूसरा दक्षिण मयुरा कहलाता था। ये दोनोंही मगर बड़े रम्य तथा समृद्ध थे। उत्तर मधुरामें देवदत्त नामका एक ऐश्व. र्यशाली यणिक रहता था। एक दिन वह वागाके निमित दक्षिण मयुगमें गया। यहां भी जयसिंह नामका एक पणिक रहता था। यह धन-धान्यसे युक्त प्रसिद्ध व्यक्ति था। देवदत्तके यहाँ कुछ दिन रह जानेपर उसकी जयसिंहके साथ गाढ़ी मित्रता हो गयी। जयसिंह पत्रिका नामकी एक परम सुन्दरी कुमारी बहिन थी। एक दिन जयसिंहने देवदासको भोजन करने लिये अपने यहाँ निमन्त्रित किया। दोनों मित्र एक साथ ही मोमन करने के लिये अपने-अपने मासमपर है। उनके 8 जानेपर अनिका सुन्दर सुन्दर बन्न नया पहुमूल्य मलमासे मलंकन होमपने माई तथा इनके मित्र दोनोंदेपालमें भोजन परोसकर
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