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________________ आगम संबंधी साहित्य [भाग-3] उपांग+प्रकीर्णक सूत्रादि-अकारादि [ज-कार + झ-कार + ठ-कार + ड-कार + ण-कार + त-कार 1 पूज्य आगमोद्धारकरी संशोधित: मुनि दीपरत्नसागरेण पुन: संकलित: उपांग+प्रकीर्णक सूत्रादि-अकारादिः (आगम-संबंधी-साहित्य) प्रत औ० सूत्रांक यहां देखीए जी०२१ दीप क्रमांक के लिए देखीए INIजो निभाएण गिण्हा रा०२० जो पुण अत्थं अवहरह दसणमइओ प्रज्ञा०२२ ,, सणसुद्धो ॥ ३४॥ "... पत्तभूओ जो भत्तपरिन्नाए जोयणसहस्स गाउय ग्गाउ० जो रागदोसरहिओ जो वाससयं जीवह ,, सम्मं भूयाई ., साइआरचरणो ,, सुत्तमहिजंतो , संखिजभवट्टिई जोहाण य उष्णत्ती जो हेउमयाणतो .... झाणाण परमसुकं २७-१९७५ | उबिए पायच्छिते २७-२१८ |णाणावर गिजस्म २२-२५५९० लाखपा १२ २७-३७८ 1 ठिती सब्वेसि भाणियचा २१-२२२०णाणावरणि जस्स थे २२-२९३० * ०/४ २७--६२१ डझंतेणवि गिम्हे २७-७०६ २७-६२२ णक्वत्ततारगाणं २४-६६ णाणाविहसंटाणा नि० २६ २७--६२० णक्खत्तसहस्सं णाणी चेव अण्णाणी० २१-२४७सू० प्रकी०१७ २७-७१ णक्वत्ताण सहस्सं , जहा सम्महिट्ठी २२-३१२सू० जग्गोह गंदिरुक्खे २२-१९ णं णाणित्ति २२-२४२सू० २२-२५५ णट्टविही णाडगबिही २५-३७ णाभिस्स णं कुल २५-३१सू० २७-६२३ णपुंसकवेदस्स णं भंते ! २१-६२सू० णिच्छिण्णसचदुक्खा २७-४९२ २१-६०स० णिद्धस्स णिदण दुयाहिक २२-२०० २७-१८५९ रगं तिरिक्वजोग १९-३ णिवंबर्जबकोसंब० २७-३०२ | णवमे वसंतमासे णेरइयाणं० सब्बे सम० २२-२५८स० २२-१२५ णवि अस्थि माणुसाणं १९-२१ , समा० २२-२०६० २७-६३३ | णवि से खुहा ण विलि २५-२० सप्पमि णिवेसा २५-३६ मंदिस्सरवरपणं दीवं २१-१८५० | तइया कीस न हायर २७-१८०० । २२-१२४ | गंदीसरोदं समुदं २२-११ १-१८६सू० | तईयाए मंदया नाम २७-४८१ २४-५९६ | पंदुत्तरा य गंदा २५-७२ | तए पं० अकालपरिहीणा २०-१४सू० 'सवृत्तिक SAXXSEXX आगम सुत्ताणि ~ 192
SR No.035073
Book TitleAagam Sambandhi Saahitya 03 Aagam Sootradi Akaaraadi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherParam Anand Shwe Mu Pu Jain Sangh Paldi Ahmedabad
Publication Year2017
Total Pages431
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_index
File Size92 MB
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