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आगम संबंधी साहित्य
[भाग-3] उपांग+प्रकीर्णक सूत्रादि-अकारादि
[ज-कार] पूज्य आगमोद्धारकरी संशोधित: मुनि दीपरत्नसागरेण पुन: संकलित: उपांग+प्रकीर्णक सूत्रादि-अकारादिः (आगम-संबंधी-साहित्य)
प्रत
औ०
सूर्य०२३
सूत्रांक
यहां देखीए
रा०
जी०२१ प्रज्ञा०२२ ॥३३॥
जं० २६ नि० २६ प्रकी०२७
दीप
जीहाए विलिहतो जुअलसिलासंथारे जुत्तस्स उत्तम? जुत्तस्स० सुक्ख संथा. जुत्ते पमाणरइओ जे अगहिअपरमत्था जे अन अकित्तिजणए ,, उत्तरेण इंदा , कडुयदुमुप्पन्ना ,, कुम्मसंखताडण , केइ नालियाबद्धा जेण विरागो जायद
बि रागो,
क्रमांक
SCENEXTENDENTRENVEEVMANS
२७-७२६ जे पयणुभत्तपाणा २७-१६८० ., पुण अट्ठमईया २७-६३० | गुरुपडिणीया
|, तिगारवजढा २७--१५८४
,, बट्टविमाणा २७-७५२ ,, सुयसंपन्ना '२७-७६४ ,, पोग्गला अणिट्ठा
,, मे जाणंति जिणा २७-१८९१
" २२-८७ | जोअणमद्धं तत्तो २७-२३९ | जोषणसहस्समेग
| जो अस्थिकायधम्म २७-१७१८ जो अविमाणुस्सेहो २७-५७६ | जो आरंभे वट्टर २७-२०९६ जोइसस्स य दाराई २७-९५७ | जोइसियाणं० देवाणं
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के लिए देखीए
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२७-२३६५ | जोइसियाणं पुच्छा देवाणं २२-२०१०
२४-९९ | जो उ प्पमायदोसेणं २७-७४८ २७-१०५ | जोपसु किलामंति २७-२२७३ २७-१२८७ जो कुंबगावराहे
२७-२६६१ २७-११४४ जोगा देवय तारग्ग २५--१००
| जो गारमेण मत्तो २१-१६ | जोगो देवय तारग्ग २५-१२० २७-१५३ | जोग्गं पायच्छित्त २७-१३६१ २७-१३५५ | जो जत्तो वा जाओ २७-१४५७ | जो जस्सा बिकखभो २७-२०१९ २७-२०१८ जो जि.ण है? भावे २२-१२२ २५-९६० - जो जोगओ अपरिणा २७-१३४३ २२-१३६ | जोणिसयसहरुलेसु। २७-११२६ जोणीमुहनिग्गच्छतेण २७-१३२६ | जोणीमुहनिष्फिडिओ २७.५३३
२४-१५ | जोतिसियाणं देवाणं २२-१३६सू० | जो तिहिं पएहि धर्म २७-१६६२.
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'सवृत्तिक आगम
| जेणंतरेण निमिति | जे दसणवावन्ना जे दाहिणाण इंदा
सुत्ताणि
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