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आगम (४४)
[भाग-7] "नन्दी- चूलिकासूत्र-१ (मूलं+वृत्तिः)
........... मूलं ५७] / गाथा ||८२-८४||
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प्रत सूत्रांक
[५७]
गाथा ॥८२८४||
नन्दी
18| दुगठाणेवि असंखा पुरिसजुगा होति णायव्या ॥३॥ जाव य लक्खा चोइस सिद्धा पचास हॉति सबढे । पासवाणेऽविता गाडकानुहारिमद्रीय पाटापुरिसजुगा हॉतिऽसंखेज्जा ॥ ४॥ एगुत्तरा उठाणा सब्वट्ठाणे य जाव पनासा । एवेकेकगठाणे पुरिसजुगा होतऽसखेज्जा।। ५॥
योगे वृत्ती |विवरीयं सबढे चोदसलक्खा उणिव्वुतो एगो । सच्चव य परिवाडी पन्नासं जाव सिद्धीए ॥ ६॥ तेणं परं तु लक्खा दो दो
चित्रान्तरठाणा य समग बच्चति । सिवगतिसब्बडेहिं इणमो तेसि विही होइ ॥ ७॥ दो लक्खा सिद्धीए दो लक्खा नरवतीण सवढे । एवं
मंडिका ॥११०॥
तिलक्ख चउपंच जाव लक्खा असंखेज्जा ॥ ८॥ सिवगतिसबढेहिं चित्तरगंडिया ततो चउरो। एगा एगुत्तरिया एगादिविउत्तरा वितिया ॥ ९॥ ततिएगादितिउत्तरा तिगमादिविउत्तरा चउत्थेयं । पढमाए सिद्धिको दोषिय सन्चट्ठसिद्धम्मि ॥१०॥ तत्तो तिनि नरिंदा सिद्धा चत्तारि होंति सबढे । इय जाब असंखेज्जा सिवगतिसम्बदसिद्धेहि ॥ ११ ।। ताहे घिउत्तराए सिद्धिको तिमि होंति सबढे । एवं पंच य सत्त य जाव असंखेज दोभित्ति ॥ १२ ॥ एग चउ सत्त दसगं जाव असंखज्ज हॉति दोनि
ति । सिवगतिसञ्चद्वेहिं तिउत्तराए मुणेयच्या ॥१३॥ ताहे-तियगाइ बिउत्तराए अउणत्तीस तितग ठावेतुं । पढमे गस्थि क्खेवो दासेसेसु इमो भवे खेवो ॥१४॥ दुग पण णवर्ग तेरस सत्तरस दुबीस छच्च अडचा बारस चौदस तह अडवीस छब्बीस पणुवीसा IP॥ १५ ॥ एकारस तेवीसा सीयाला सतरि सतहत्तरी तह य । इग दुग सचासीई एगुत्तरिमेव चावडी ॥ १६ ॥ अउणचरि IA
चउवीसा छायाल सयं तहेच छब्बीसा । एए रासीक्खेवा तिगअंतता जहाकमसो ॥ १७ ॥ सिवमतिसबढेहिं दो दो ठाण विसम्रचरा गेया । जाणतीसट्टाणे उणतीसं पुण छवीसाए ॥१८॥ विसमुत्तरा य पढमा एषमसंख विसमुचरा गेया । सवत्थवि अंतिल्लं ॥११०॥ अनाए आदिमं ठाणं ॥ १९ ॥ अउणचीस वारे ठाउं गस्थि पढमए खेवो । सेसेसुऽडवीसाए सव्वत्थ दुगादिओ खेवो ॥ २० ॥
दीप
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अनुक्रम [१५०१५४]
पूज्य आगमोद्धारकरी संशोधिता मुनि दीपरत्नसागरेण संकलिता आगमसूत्र [४४] चूलिकासूत्र [९] नन्दीसूत्र मूलं एवं हरिभद्रसूरिजीरचिता वृत्तिः
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