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________________ आगम (४२) भाग-6 "दशवैकालिक- मूलसूत्र-३ (नियुक्ति:+|भाष्य|+चूर्णि:) अध्ययनं [४], उद्देशक H. मूलं [१-१५] / गाथा: [३२-५९/४७-७५], नियुक्ति: [२२०-२३४/२१६-२३३], भाष्यं [५-६०] पूज्य आगमोद्धारकरी संशोधिता मुनि दीपरत्नसागरेण संकलिता: आगमसूत्र-[४२] मूलसूत्र-[०३] दशवैकालिक नियुक्ति: एवं जिनदासगणिरचिता चूर्णि प्रत सूत्रांक [१-१५] गाथा ||३२५९|| श्रीदश-द तत्थ तसंतीति तसा, जे एगमि ठाणे अवट्ठिया चिट्ठति ते थावरा भण्णांति, तसा वा थावरा वा जीवा पाणेहि णो विसंजोएज्जा, प्राणातिवैकालिका | सुहुमवादरगहणेण दव्यओ गहणं कप, एगगहणे महणे तज्जाईयाणमितिकाउंतिष्णिवि खेत्तकालभाषा गहिया, इयाणि एस एव | पातचूर्णी विरमणम् पाणाइवाओ चउबिहो सवित्थरो भण्णइ,तं०-दबओ खेत्तओ कालो भावओ. दबओ छस जीवनिकाएमु सहुमबादरेसु भवति,181 ४ अ० खत्तओ सबलोगे, किं कारणी, जेण सबलोए तस्स पाणाइवायरस उपपत्ती अस्थि, कालओ दिया था राआवात चव सुहुमवादरा ॥१४७॥ जीवा बवरोविज्जंति, भावी रागेण वा दोसण वा, तत्थ रामेण मंसादीणं अट्ठाए, अहवा रागण कोह कांच अणुमरति, दासण वितियं मारेइ, जी पुण रागदोसविरहिओ अप्पमत्तो सत्तं पाएइ तस्स पाणाइवाओण भवइ, कई ', जम्हा दाओ नामंग| पाणाइवाते णो भावओ १ भावओ नामेगे पाणाइवाते नो दन्यतो २ एगे दवआधि भावओवि ३एगे णो दब्बआ णा भावआ४, एतेसि मैगाण णिदरिसणं बहा दुमपुरिफयाए, तमतं पाणाइवायं णेव सय मणसा फरेज्जा एवं पायाए कारणवि, णो मणसा|5 अण्णं कारवेज्जा णो वायाए अण्णं कारवेज्जा पो कारणं अनं कारवेज्जा, पाणाइवायं करंसपि णो समणुजाणेज्जा मणेणं | वायाए काएणं, 'तस्स भंते ! पडिक्कमामि निंदामि गरिहामि अप्पाणं बोसिरामि' एतेसि पयाणं वक्खाणं जहा हेडा, सीसो आह -किमस्थं पाणाइवायवेरमणं कीरह, आयरिओ आह-इहलोंगे चेच पाणाइवायं कुथ्यमाणो गरहिओ होई पंधवहादिणा य दास कयाद पावज्जा, परलोगेस णियमा दोग्गय गच्छति, तम्हा पाणाइवायवेरमणं कायध्वंति,सीसो आह-किं कारणं सेसाणि वयाणि ॥४॥ मोचूण पाणाइबायवेरमणं पढम भणियंति !, आयरिओ भणह-एयं मूलवयं 'अहिंसा परमो धम्मो'चि, सेसाणि पुण महन्वयाणि उचरगुणा, एतस्स चेव अणुपालणत्थं परूवियाणि, 'पढमे भंते महत्वए उवडिओमि सव्याओ पाणाइवायाओ बेरमणं' 6-ट 4- दीप अनुक्रम [३२-७५] RATEACROSER FACEAC- [160]
SR No.035056
Book TitleSachoornik Aagam Suttaani 06 Dashvaikaalik Niryukti Evam Churni Aagam 42
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherParam Anand Shwe Mu Pu Jain Sangh Paldi Ahmedabad
Publication Year2017
Total Pages398
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_dashvaikalik
File Size34 MB
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