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________________ आगम (४०) भाग-4 “आवश्यक- मूलसूत्र-१ (नियुक्ति:+चूर्णि:) 2 अध्ययनं १, मूलं [१] / [गाथा-], नियुक्ति : [९१७-९१८/९१७-९२०], भाष्यं [१५१...] पूज्य आगमोद्धारकरी संशोधिता मुनि दीपरत्नसागरेण संकलिता: आगमसूत्र-[४०]मूलसूत्र [१] आवश्यकनियुक्ति: एवं जिनभद्रगणिरचिता चूर्णि-2 प्रत सूत्रांक - ॥५२८॥ दीप अनुक्रम [१] नमस्कारतीय वासघरं गता हार पोयति, तीए अन्भुट्ठिता, सा हारं मोत्तूण मिक्खमुट्ठिया, एत्थंतरम्मि चित्तकम्मोइण्णणं मयूरेणं सो हारो व्याख्यायो टओइलिओ, तीए चिंतिय-अच्छरीतामयं, पच्छा साडगद्धण ठइय, भिक्खा पडिग्गहिता, णिग्गया य, इतरीए जोइयं जाव पत्थिना हारोत्ति, तीए विचितियं-किमेयं वदखेडं, परियणो पुच्छितो, सो भणति-ण कोति एत्थ अज्जं मोत्तूणागओ, तीए अम्बाडिओ, | पच्छा फुई, इतरीएवि पवत्तिणीए सिटुं, तीए भणियं-विचिचो कम्मपरिणामो, पच्छा उग्गतरतवरता जाता, तेसिं चाणत्यभीयाण तं नेई न उग्गाहेति, सिरिमतिकंतिमईओ भत्तारेहिं हसिज्जंति, ण य विपरिणमंति, तीए उग्गतरतवरयाए कम्मससं कयं, एत्य तरंमि सिरिमती भत्तारसहाया वासहरे चिट्ठति जाव मोरेणं चित्ता ओयरिऊण णिगिलिओ हारो, ताणि संवेगमावण्णाणि, अहो से ६ भगवतीए महत्थता जंण सिट्ठमिदंति खामितुं पयट्टाणि, एत्थंतरंमि से केवलमुप्पणंति देवेहिं महिमा कता, तेहिं पुच्छिय, ४ तीएवि साहितो परभववुत्वंतो, ताणि पब्बइयाणि । एरिसा दुहावहा मायत्ति । | कम्मदचे तहेव, णोकम्मे आकरलोई, एचमादी, अण्णे भणति-णोकम्मे अकरमोती एवमादि, अकरमोत्ति चिकणिका, 15 हमारे उदिनो, तस्स चचारि विभागा-हलिद्दारागो खंजण कद्दम० किामरागो, गतीओ तहेव, तत्थ उदाहरणं लुणदो-पाडलिपुत्ते दो वाणियओ, जिणदासो सावओं, राया जियसत्तू, तलागं खणेति, फाला दिडा, सुरामोल्लंति दो गहाय गता वीथीए, सावग18 स्स उवणीया, तेण णेच्छिता, ताहे गंदस्स उपणीया, तेण गहिता, णाता य, ते य भणिता-जदि अण्णेवि अस्थि तो आणज्जाह, अहं चेव गेहामि, एवं से दिवसे २ ते काला गेहति, अण्णदा अब्भरहिते सयाणज्जामंतणए बलामोडीय णीतो, पुत्ता भणिया- फलं गेण्हहचि, सो आगतो, तेहिं फाला ण गहिया, आकुट्ठा य गता पूवियसालं, तेहिं ऊणगं मोल्लंति एगते एडिता, किट्ट पडिय, | ५२८॥ (237)
SR No.035054
Book TitleSachoornik Aagam Suttaani 05 Aavashyak 2 Niryukti Evam Churni Aagam 40
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherParam Anand Shwe Mu Pu Jain Sangh Paldi Ahmedabad
Publication Year2017
Total Pages328
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_aavashyak
File Size26 MB
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