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________________ आगम (४०) भाग-3 "आवश्यक'- मूलसूत्र अध्ययनं H, मूलं - गाथा-], नियुक्ति: [४८०-४८१/४८१-४८२], भाष्यं [११४...] पूज्य आगमोद्धारकरी संशोधिता मुनि दीपरत्नसागरेण संकलिता आगमसूत्र-[४०].मूलसूत्र-[२१] आवश्यकनियुक्ति: एवं जिनभद्रगणिरचिता चूर्णि:-1 | B प्रत सत्राक ॥२९॥ आवश्यक वाहे बाहि पारेचा विरंतो कदलीनाम गामो, तत्थ सरदकाले अच्छारियमचाणि दविरेण णिस? दिति, तत्थ गोसालो अच्छारिवर्णीमणति-बच्चामो, ताहे सिद्धत्यो भणति--अम्हं अंतरं, सो तहिं गतो, भुजति लभति दधिकूर, सो य वडिफोडो ण चव धाति, तेहिश काभक्त उपोषावा मणित-चहूं भायणं करचेह, करवित, पच्छा ण णित्थरति, ताहे से उवरि छुळे, ताहे उकीलतो गच्छति । ततो भगवं जंबुसंड णाम नान्दषणाः गामं गतो, तत्थवि संमेल्लो, तहेव अच्छारियभत्त, तत्थ पुण खीरं कूर, तहिपि तहेव धरिसिओ जिमिओ य । एत्थकदलिसमागमभोयण मंखलि दचिकर भगवतो पडिमा । जंबूसंडे गोडिय भायण भगवतो पडिमा ॥४-२६१४८ ततो-तंबाए णंदिसेणो पहिमा आरक्षित हण भये डहणं । कृषिय चारिय मोक्खो विजयपगन्भाय पत्तेया॥४-२७।४८३४ तेणेहि पहे गहितो गोसालो मातुलोत्ति वाहणता | भगवं वेसालीए कम्मारघणेण देविंदो ॥ ४-२८१४८४॥ __ पच्छा तंचायं णाम गाम एति, तत्थ दिसेणा णाम थेरा बहुस्सुया बहुपरिवारा, ते तत्थ जिणकप्पस्स पडिकम्मं करेंति पासावच्चिज्जा, इमेवि बाहिं पडिम ठिता, गोसालो अतिगतो, तहेब पेच्छति पब्बतिते, सस्थ पुणो खिसति, ते आयरिया तदिवस | चउके पडिम ठायति, पच्छा तहि आरक्खियपुत्तेण हिडतणं चोरोचि भल्लएण आहतो, केवलणाण, सेस जहेच मुणिचंदस्स जाब गोसालो बोहेत्ता आगतो । ततो पच्छा कूविया णाम संनिवेसो, तत्थ गता, तेहिं चारियत्तिकाऊण घेप्पति, तस्थ बझति पिहि-IN ॥२९॥ ज्जंति य, तत्थ लोगसमल्लावो अपडिरूवो देवज्जतो रूबेण य जोवणण य चारिओत्ति गहिओ, तत्थ विजया पगब्भा य दोषि पासंतेवासिणीओ परिव्याहया सोऊण लोगस्स तित्वगरो इतो वच्चामो ता पुलएमो, को जाणति होज्जा, ताहि मोतितो, EXERRRRRRRRRRR१२ दीप अनुक्रम RACTRESS [303]
SR No.035053
Book TitleSachoornik Aagam Suttaani 04 Aavashyak 1 Niryukti Evam Churni Aagam 40
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherParam Anand Shwe Mu Pu Jain Sangh Paldi Ahmedabad
Publication Year2017
Total Pages320
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_aavashyak
File Size25 MB
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