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________________ आगम (४०) भाग-3 "आवश्यक'- मूलसूत्र-१ (नियुक्ति:+चूर्णि:) 1 अध्ययनं , मूलं - गाथा-], नियुक्ति: [४६२-४६४/४६२-४६४], भाष्यं [१११] पूज्य आगमोद्धारकरी संशोधिता मुनि दीपरत्नसागरेण संकलिता आगमसूत्र-[४०] मूलसूत्र-[१] आवश्यकनियुक्ति: एवं जिनभद्रगणिरचिता चूर्णि:-1 प्रत सत्राक IM इच्छामो, वाहे भणति-एताणि माणुस्सद्वियाणि पुंज काऊण उवरि देवकुलं करेह, बालिबई च एगपासेत्ति, अने भणति-तं बदलरू | शूलपाणि आवश्यक करेह, तस्स य हेवा ताणि बल्लद्वियाणि निक्खणह, तेहिं अचिरणं कयं, तत्थ इंदसम्मो णाम तस्स पडियरजओ, वाहे लोगो 4चूर्णी थियादी पेच्छति-पंढराष्वियं गाम देवकुलं च, ताहे पुच्छंति अबे-कयराओ गामाओ आगता ?, भणेति जत्थ ताणि अड्डियाणि, IN एवं सो अद्वितगामो जातो । तत्थ पुण वाणमंतरघरे जो रनिं परिवसति तत्थ सो सूलपाणी संनिहितो तं रचि वाहेत्ता पच्छा || मारेति, ताहे तत्थ लोगो दिवस अच्छिऊणं पच्छा विगाले अनत्थ वच्चति, इंदसम्मोवि धूवं दीवगं दातुं दिवसतो चेव जाति । ॥२७३॥ दू इतो य तत्थ सामी आगतो दुइज्जतगाण पासातो, तत्थ य सब्बलोगो तदिवस पिंडितो अच्छति, सामिणा देवकुलितो अणुभ |वितो, सो भणति-गामो जाणति, सामिणा गामो मिलितओ चेव अणुनवितो, सो गामो भणइ--ण सका एत्थ वसिउ पुज्जे, सामी | भणति-णवरि तुब्भे अणुजाणह, ताहे भणति-हाह, तत्थेकेका वसहिं देति, सामी णेच्छति, भगवं जाणति-सो संबुज्यिहितित्ति, | ताहे गंता एगकोण पाडिमं ठितो, ताहे सो इंदसम्मो सूरे धरेते चेव धूवपुर्फ दाऊण कप्पडियकरोडिया सव्ये पलोएता पि देवज्जग भणति-तुम्भेबि णीह, मा मारिज्जिहिह, भगवं तुसिणीओ अच्छति, ताहे सो बंतरो चिंतेति-देवकृलिएण गामेण या ट्राभचंतोऽविन जाति पेच्छ से अज्जज करेमि, ताहे सञ्झाए अट्टहास मुर्यतो बीहावेइ, भीम अट्टहासं मुंचतो ताहे भेसेउं पवत्तो, ताहे सबो लोगो तं सई सोऊण भीतो भणति-एस सो देबज्जतो मारिज्जति, तत्थ य उप्पलो नाम पच्छाकडो परिवाओ। का पासावञ्चिज्जो नेमित्तिओ भोमउप्पातसिमिणंतलिक्खअंगसरलक्षणवंजणअढुंगमहानिमित्चजाणओ जणस्स सोऊण चिंतति-मा | |तित्थकरो होज्जति अद्धिति करेति, बीहेति य तत्थ रति गंतुं, ताहे सो वाणमंतरो जाहे सद्देण ण बीहेति ताहे हस्थिरूवेण उवसग्गं दीप अनुक्रम ला॥२७३॥ [285]
SR No.035053
Book TitleSachoornik Aagam Suttaani 04 Aavashyak 1 Niryukti Evam Churni Aagam 40
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherParam Anand Shwe Mu Pu Jain Sangh Paldi Ahmedabad
Publication Year2017
Total Pages320
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_aavashyak
File Size25 MB
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