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आगम
(४०)
प्रत
मूलांक
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दीप
अनुक्रम
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भाग-3 “आवश्यक" मूलसूत्र-१ (निर्युक्तिः+चूर्णि:) 1
अध्ययनं [-]
[३८-४३३
मूल [- गाथा-],
निर्युक्तिः [१५१-२१५/३६४-४२०१
पूज्य आगमोद्धारकश्री संशोधिता मुनि दीपरत्नसागरेण संकलिता आगमसूत्र [४०], मूलसूत्र [०१] आवश्यकनिर्युक्तिः एवं जिनभद्रगणिरचिता चूर्णि:-1
श्री आवश्यक
चूर्णी उपोद्घात नियुक्ती
॥२१८॥
कोडि लक्ख ५०
उसभ
कोटीण जडविसहस्सा ९०
सुमति कोडिओ जव ९ पुष्पदंत
सागर ९
विमल पति १२ संति वास लख ६ मुण
कोडि लक्ख ३० अजित
कोडीण व सहस्सा ९
पउमपह
फोडी कणाय १००
सीतल
सागर ४ अनंतइ
पलित चउभाओ ? उण वासकोड १ कुंथुस्स वरिलक्ख ५ नमिस्स
कोडिलक्स १० संभव कोटी वसवाई ९
सुपास ६६२६००७ सागर ५४वरि० सेजंस सागर ऊणाई पलियच उष्माग३ि
[230]
धम्मस्स
वास फोडि १
अरस्स वास सहस्सा ८३७५० मिस्स
कोडि उक्ख ९ अभिनंदन कोडीओ उति ९० चंदप्प नागर ३० वासुपूज
वास लक्ख ५४ महिस्स पाससया २५० पार्श्व वर्धमान
जिनान्तराणि
॥२१८॥