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________________ आगम भाग-1 “आचार" - अंगसूत्र-१ (नियुक्ति:+चूर्णि:) श्रुतस्कंध [२], चूडा [१], अध्ययन [५], उद्देशक [२], नियुक्ति: [३१५], [वृत्ति-अनुसार सूत्रांक १४१-१५१] (०१) प्रत वृत्यक [१४११५१] श्रीआचाचीवरमादाप गाहावति पहिया विहारभूमि वा गामाणुगाम तिब्वादि शतंगादिसुण कप्पति मुहुनगं २ दिवस अहोर पक्खं मासं | 0 पात्रेषणा रांग सूत्र- जत्तियं वा कालं, असादुस्स मा पाडिहारियं निण्हेन्तु, आयरियपेसगेणं गतो एमताणिउ सो तत्थ कजे समत्तिवि अगिलाणो, चूणिः ण य गिलाणकजेण, एगागी पंचाहा परेण, विप्पखिसितसिद्ध नेणं, तेण उवही उवहाणविऊ, तं उबहिं जाणिऊर्ण उवाहिं सामि॥३६५|| |णाणं गिहियब्बं अन्नेसिं दायच्वं मम उवयंति पामिजिआचि, तो विपरिगहणत्ततो अनं गेण्हेजा, णवरं धूतायारेहि परिहराहि वा, ण पलिठिदिय परि०थिरं संत ससंघियं, संधी नाम ओवी तंबोलीणं, तस्स चेत्र णिसिरिज, एवं निग्धोसं, सब्बोमाइद्वाणर्ण उवहि हणावितो तं ताणि उस्सवेतुं परिट्ठाण्यवं, वान्नाई करेजा, पावगंणाम अचोक्वं भण्णाति अदत्तहारी, आलावगा | 'जद्दा रियाए, इति वौषणा परिसमाप्ता ।। दवपादं तिविहं, भावे अप्पा सीलंगसहस्साणं भाणं, जिणो एग घरेति, एगम्मि म वितियम्मि पाणर्ग, मत्तओ अपरि| भोगो, सण्णाभूमि गच्छंतस्स भवति, हारपुटं ते लोहिगं चेय पादं, बिल्लगिरिमादिणा भोतुं कीरति, चम्मपादं चम्मकुतुओ, | उद्दिष्टं लाउगमादी, पेहाए एरिसगं संगतियभनओ, वेजयंतियं पडिग्गहिओ, अहवा संगतियं च, पादा बारा वारएणं वा होति, तिणि बा, तत्थेग देति, जत्थ पत्रयणदोमो णस्थि, वे जयंति णाम जत्थ अन्भरहियस्स रायाहियस्स, सयादि घण्णो उस्सवि कालकिचे वा, भजिया हुँदं छोढुं णिज्जति, उझियधम्मिय, सेसा मब्बे तेल्लादी आलावगसिद्धा, पात्रैषणायाः प्रथमोद्देशकः समाप्तः॥ गाहावतिकुलं पविढे पेहाए पडिलेहेतु पडिग्गहियाओ अवहट्ठ पाणे अवणेतु रिय पमञ्जियं पमजिप परियाभाएति, छुमित दीप अनुक्रम [४७५ ४८५] र पूज्य आगमोद्धारकश्री संशोधिता मुनि दीपरत्नसागरेण संकलिता......आगमसूत्र-[१], अंग सूत्र-[०१] "आचार' जिनदासगणि विहिता चूर्णि: प्रथम चूलिकाया: षष्ठं-अध्ययनं "पात्रैषणा", आरब्धं प्रथम चूलिकाया: षष्ठं-अध्ययनं "पात्रैषणा", प्रथम-उद्देशक: आरब्ध: [377]
SR No.035051
Book TitleSachoornik Aagam Suttaani 01 Aachaar Churni Aagam 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherParam Anand Shwe Mu Pu Jain Sangh Paldi Ahmedabad
Publication Year2017
Total Pages399
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_acharang
File Size30 MB
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