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________________ आगम भाग-1 "आचार" - अंगसूत्र-१ (नियुक्ति:+चूर्णि:) श्रुतस्कंध [२], चूडा [१], अध्ययन [३], उद्देशक [१], नियुक्ति: [३०५-३१२], [वृत्ति-अनुसार सूत्रांक १११-११९] (०१) प्रत वृत्यक श्रीआचा दवरिया सचित्तस्स जहा बाउणो पुरिसेण वा पेरियं दव्वं, मणुस्सस्स चा गच्छतो अणाउत्तस्स, अचित्ता जहा रसस्स, परमा-| रांग सूत्र | गुस्स वा, मीसगा जहा सगडस्स, खेत्तरिया जंमि खेने भूमिबलं पड्डुच्च, कालएरिया जहा धूयते णयाण, भावे रीया रियासमिती | चूणिः | संजमे सत्तरसबिहे संजमो, कई वा णिहोसं गमणं समणस पुच्छा ?, वागरणे सोलस भंगा, पंधेण दिया जयणाए सालंबो पहमो । ||३५५॥ | सुद्धो, सेसाणं जस्थ आलंवणं अत्थि नाणादि, उप्पधि वासवाति, जयणाएवि सुद्धो चेव, गाहाणुलोम बद्धा वा सोलस भंगा, | सुत्ताणुगमे अब्भुवगते अभ्यर्ण प्राप्तः अभ्युपगत इत्यर्थः, वासा० वर्षासु वासो, बासे चेव, अहवा वासाकाले बासो बासे चेव | वर्षासु वर्षा इत्यर्थः, अभिमुखेन प्रविष्टः अभिप्रविष्टः वृद्धे काले पत्ते णो वासे भंगा, पाणग्गहणा इंदगोववीयोवगादी अभिसंभूता | | जावइया, अहुणुभिण्णा अडरिता इत्यर्थः, अंतरितो बरिसारत्तो जहा 'अंतरवणसामलो भगवं' अंतराल वा अंते अणो-| Vतो लोएणं चरगादीहिं बा, अकंतावि अणकंतसरिसा णो विण्णाता पाणियण वञ्चति०, सेवं वा णो गा० से भिक्खू वा दीयार भूमि, णस्थि विहारभूमी सज्झायभूमी, पीढके णस्थि मया, इहरहा बरिसारत्ते णिसिजा कुत्थति, फलगं संथारओ, सेजाओवहिमादि जहनेणं चउगुणं खेतं, विरायइ समिई बिहारवसही आहारे उकस्सं तेरसणुणोत्रवेयं चिक्विल्ल पाण थंडिल गोरस वसही जपाउले वेजा । ओसध णिचता अधिपति पासंडा भिक्षु सज्झातो ॥१॥णो सुलभे फासुते उंछे पुव्युत्तं पिंडेसणाए, उवा| लएआ आगच्छेजा, विपरीएसु पसस्थए उल्लिएजा, अह पूण एवं जाणेजा चत्तारि मासा णिग्गमी तिविहो, आरेण पुणे परेण | असिवादिसु कारणेसु, आयरिय असाधए आरेणवि, वाघानेण सुक्खेसु पव्वेसु, कत्तियपाडिवए, दसराए गतेसु, ततो परेण पव| तेणवि णिम्गंतव्यं, आला दसराए यतिकते बहुपाणे मसगादिसु, समणातिसु अगागएसु ण रीतेजा, विवरीते रीएआ, कहं , ११९] ||३५५॥ दीप अनुक्रम [४४५ ४५३] र पूज्य आगमोद्धारकश्री संशोधिता मुनि दीपरत्नसागरेण संकलिता......आगमसूत्र-[१], अंग सूत्र-[०१] "आचार' जिनदासगणि विहिता चूर्णि: [367]
SR No.035051
Book TitleSachoornik Aagam Suttaani 01 Aachaar Churni Aagam 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherParam Anand Shwe Mu Pu Jain Sangh Paldi Ahmedabad
Publication Year2017
Total Pages399
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_acharang
File Size30 MB
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