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________________ आगम भाग-1 "आचार" - अंगसूत्र-१ (नियुक्ति:+चूर्णि:) श्रुतस्कंध [२], चूडा [१], अध्ययन [२], उद्देशक [३], नियुक्ति: [३०४...], [वृत्ति-अनुसार सूत्रांक ८७-११०] (०१) रांग सूत्र प्रत वृत्यक [८७११० श्रीआचा- वा अण्णो वा गता, स्यणग्गहणा संविग्गो, सो गिहत्थो, मज्झो असिन् भनिए, केषां एगता उक्खित्तपुब्बा-पढमं साहूणं उक्खिवति अग्गे भिक्खं, मिक्खं हिंडताणं, 'थके थकावडित', अभत्तए सालिभतं जातं मज्झाजातं 'मज्झ य पइस्स मरणं दिय यनं उ०३ चूर्णिः | रस्स मे मया भज्जा' उक्खित्तपुब्वा मा एतं चरगादीणं देह, परिभूतपुव्वतं अप्पणो भुंजंति, साहूण य देति, परिद्ववियपुब्वा | ॥३५२।। अचणियं करेंति, तुरि पञ्चाइतुं, मा मे से सज्जातरो अगिण्हतेण भनिभंग, अण्णपासंडावि जस्स भणिता तस्स अणुग्गहं करेंति, | एवं गेहणे दोसा, कत्थति पुण वसही दुल्लभा नो मिक्खा दुल्लभा, णो वसही एगत्थ भिक्खा, से एवं साहू उज्जुकडो उक्खा10 यमाणो सम्यक् अक्खाति ण लज्जति, कर्म बंधेणं पुच्छा, आस गाहा, वागरणं, हंता सम्यक् भवति, ण लिप्पति कम्मचंधेण । | इत्यर्थः, एते परसमुत्था दोसा, इमे आयसमुत्था बसहीदोसा, अतिरिचा पट्ठिता ण अण्णतिस्थिया एज्जा खुड्डाखुडि एव दुवारं | संनिरुद्धं, खुड्डलगं वा, णिविताओ निरुद्धा साधूहि वा भरितिया, अहवा मुहूतिया चेव भण्णति सण्णिरुद्धिया, एतासु दिवावि पण कप्पति, कारणि ट्ठियाणं जयणा, राइविगाला भणिता, पुरा हत्थेण रयहरणेण हत्थोपचारं कुज्जा पच्छा करेज्जा, आवसियाणि सज्ज णिन्तार्ण, पविसंताणं णिसीहिया आसेज्जा, के च दोसा ?, समणा पंच, माहणा धीयारा, अहवा सावगा, भत्त, छत्तगा। मे, वमेत्तए उच्चारादि, भंडयादि णिज्जोगो, सव्वं वा उवगरणं, अट्ठी आयपभिसिता कट्टमयी, तिसिगा मिसिगा चेव, Vबलग्गहणा वत्थं वलयिणीदोसा, चंमए मिगचंमें, उदाहरणाओवा चंमकोस, उक्खल्लो अंगुजट्ठा कोसए वा, चंमछेदणयं बज्झो दुवट्ठादी, साहू पबडमाणेसु व दोसा, पउरण्णपाणं अन्नत्थ णत्थि, वसही दुल्लमे य, अण्णतिस्थियमादीसु जयणा, अणुवीयि अणु-| विचित्य, इस्सरो पभू सामी, स महिहिए पभु संदिट्ठो कामं जाव तब अम्ह य इच्छा, अहालंदं जहाकाले उदगवासासु अहा-||॥३५२॥ दीप अनुक्रम [४२१४४४] पर पूज्य आगमोद्धारकरी संशोधिता मुनि दीपरत्नसागरेण संकलिता......आगमसूत्र-[१], अंग सूत्र-[१] “आचार' जिनदासगणि विहिता चूर्णि: [364]
SR No.035051
Book TitleSachoornik Aagam Suttaani 01 Aachaar Churni Aagam 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherParam Anand Shwe Mu Pu Jain Sangh Paldi Ahmedabad
Publication Year2017
Total Pages399
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_acharang
File Size30 MB
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