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________________ दशाश्रुत० छेदसूत्र अन्तर्गत प्रत सूत्रांक/ गाथांक [२] दीप अनुक्रम [१] कल्प० ॥ १ ॥ “कल्पसूत्रं (बारसासूत्रं) (मूलम्) मूलं सूत्र. [२] / गाथा |||| मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित ...... "कल्प ( बारसा) सूत्रम्" मूलम् गब्भाओ गब्र्भ साहरिए २ हत्थुत्तराहिं जाए ३ हत्थुत्तराहिं मुंडे भवित्ता अगाराओ अणगारिअं पवइए ४ हत्थुत्तराहिं अणते अणुत्तरे निधाघार निरावरणे कसिणे पडि - | पुन्ने केवलवरनाणदंसणे समुप्पन्ने ५ साइणा परिनिबुए भयवं ६ ॥ २ ॥ तेणं कालेणं तेणं समएणं समणे भगवं महावीरे जे से गिम्हाणं चउत्थे मासे अट्ठमे पक्खे आसाढसुद्धे तस्सणं आसाढसुद्धस्स छट्ठीपक्खेणं महाविजयपुप्फुत्तरपवरपुंडरीयाओ महाविमाणाओ वीसंसागरोवमट्ठिइयाओ आउक्खएणं भवक्खएणं ठिइक्खएणं अणंतरं चयं चइत्ता इहेव जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे दाहिणड्डूभरहे इमीसे ओसप्पिणीए सुसमसुसमाए समाए विइक्कंताए १ सुसमाए समाए विइकंताए २ सुसमदुसमाए समाए विइ - कंताए ३ दुसमसुसमाए समाए बहुविइकंताए - सागरोवमकोडाकोडीए बायालीसंवा १- ३ साए भ० महावीरस्य च्यवनं ~13~ बारसो ॥ १ ॥
SR No.035040
Book TitleSavruttik Aagam Sootraani 1 Part 40 Kalpsutra Moolam Chatusharan Tandulvaicharik Gacchachar Mool evam VruttiMool evam Vrutti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherVardhaman Jain Agam Mandir Samstha Palitana
Publication Year2017
Total Pages394
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_kalpsutra
File Size105 MB
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