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________________ आगम (४४) [भाग-३८] “नन्दी”- चूलिकासूत्र-१ (मूलं+वृत्ति:) .............................. [अनुज्ञा-नन्दी] मूलं [१] .......... पूज्य आगमोद्धारकरी संशोधित: मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित..आगमसूत्र[४४] चूलिकासूत्र[१] नन्दीसूत्र मूलं एवं मलयगिरिसूरिरचिता वृत्ति: प्रत (परिशिष्ठ) सूत्रांक [१] श्रीमलय दावा अंतगडदसाओ वा अणुत्तरोवाइयदसाओ वा पण्हावागरणं वा विवागसुयं वा दिहिवायं वा सबदवगुणपज्जवोह || अनुज्ञा गिराया पासवाणुओर्ग अणुजाणिजा, से तं लोगुत्तरिआ भावाणुण्णा, से तं भावाणुण्णा ६। 'किमणुण्णा कस्सऽणुण्णा के-II नन्दीवृत्तिः वइकालं पवत्तिआणुण्णा । आइगर पुरिमताले पबत्तिया उसहसेणस्स ॥१॥ अणुण्णा १ उपणमणी २|| ॥२५३॥ नमणी ३ नामणी ४ ठवणा ५ पभावो ६ पभावणं ७ पयारो दातदुभयहिय ९ मज्जाया १० नाओ ११ मग्गो| य १२ कप्पो अ १३ ॥२॥ संगह १४ संवर १५ निजर १६ ठिइकारण चेव १७ जीवबुद्धिपयं १८॥ पय १९ पवरं व २० तहा वीसमणुण्णाइ नामाई ॥३॥। अणुण्णा नंदी समत्ता । [ अथ योगक्रियायां बृहन्नन्दी]योग-नन्दी | नाणं पंचविहं पण्णतं, तंजहा-आभिणिवोहियनाणं १ सुयनाणं २ ओहिनाणं ३ मणपजवनाणं ४ केवलनाणं ५, तत्थ णं चत्तारि नाणाई ठप्पाई ठवणिजाई नो उद्दिस्सिज्जंति नो समुद्दिस्सिर्जति नो अणुण्णविजंति, सुयनाणस्स पुण उद्देसो १ समुद्देसो २ अणुण्णा ३ अणुओगो य पयत्तइ ४, जइ सुयनाणस्स उद्देसो १ समुद्देसो २ अणुण्णा ||३ अणुओगो ४ पयत्तइ कि अंगपविठ्ठस्स उद्देसो १ समुद्देसो २ अणुण्णा ३ अणुओगो ४ पवत्सइ ? किं अंगवाहिरस्स | उद्देसो १ समुद्देसो २ अणुण्णा ३ अणुओगो ४ पयत्तइ ?, गो! अंगपविट्ठस्सवि उद्देसो १ समुद्देसो २ अणुण्णा ३ अणुओगो ४ पवत्तइ अंगबाहिरस्सवि उद्देसो १ समुद्देसो २ अणुण्णा ३ अणुणोगो ४ पवत्तइ, इमं पुण पढवणं पडुच अंगवाहिरस्स उद्देसो० ४, जब अंगवाहिरस्स उद्देसो जाय अणुओगो पवत्तइ कि कालियस्स उद्देसो०४, किं| RECERS दीप (परिशिष्ठ) अनुक्रम [१] ॥२५३॥ REmiratnana ...अत्र अनुज्ञा-नन्दी परिसमाप्ता, ... अथ योग-नन्दी आरब्धा: *** ~518~
SR No.035038
Book TitleSavruttik Aagam Sootraani 1 Part 38 Nandisootra Mool evam Vrutti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherVardhaman Jain Agam Mandir Samstha Palitana
Publication Year2017
Total Pages528
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_nandisutra
File Size118 MB
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