________________
आगम
(४४)
[भाग-३८] “नन्दी”- चूलिकासूत्र-१ (मूलं+वृत्ति:)
.............. मूलं [५०-५१]/गाथा ||८१...|| ......... पूज्य आगमोद्धारकरी संशोधित: मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित..आगमसूत्र[४५] चूलिकासूत्र[१] नन्दीसूत्र मूलं एवं मलयगिरिसूरिरचिता वृत्ति:
प्रत
सूत्रांक
व्याख्या| धिकारः
सू. ५० ज्ञाताधिकारसू. ५१
[५०-५१]
दीप अनुक्रम [१४३
संगहणीओ संखिज्जाओ पडिवत्तीओ, से णं अंगट्याए पंचमे अंगे एगे सुअक्खंधे एगे साइरेगे अज्झयणसए दस उदेसगसहस्साई दस समुद्देसगसहस्साइं छत्तीसंवागरणसहस्साई दो लक्खा अट्रासीइं पयसहस्साई पयग्गेणं संखिज्जा अक्खरा अणंतागमा अर्णता पजवा परित्ता तसा अगंता थावरा सासयकडनिबद्धनिकाइया जिणपन्नत्ता भावा आपविजंति पन्नविजंति परूविजंति दंसिर्जति निदंसिर्जति उवदंसिर्जति, से एवं आया एवं नाया एवं विण्णाया एवं चरणकरणपरूवणा आघविजइ,सेतं विवाहे ५। (सू. ५०)। से किं तं नायाधम्मकहाओ?, नायाधम्मकहासु णं नायाणं नगराई उजाणाई चेइआई वणसंडाइं समोसरणाई रायाणो अम्मापियरो धम्मायरिया धम्मकहाओ इहलोइयपरलोइया इडिविसेसा भोगपरिचाया पव्वजाओ परिआया सुअपरिग्गहा तवोवहाणाई सलेहणाओ भत्तपञ्चक्खाणाई पाओवगमणाई देवलोगगमणाई सुकुलपञ्चायाईओ पुणबोहिलाभा अंतकिरिआओ अ आघविजंति, दस धम्मकहाणं वग्गा, तत्थ णं एगमेगाए धम्मकहाए पंचपंचअक्खाइआसयाई एगमेगाए अक्खाइआए पं.
-१४४]
~470~