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[भाग-३६] श्री उत्तराध्ययनानि (मूलसूत्रम् - ४/२)
नमो नमो निम्मलदंसणस्स
पूज्य श्रीआनंद-क्षमा-ललित -सुशील सुधर्मसागर गुरुभ्यो नमः
“उत्तराध्ययनानि” मूलं एवं वृत्तिः
[मूलं + निर्युक्तिः + शान्तिसूरि-रचिता वृत्तिः]
[आद्य संपादकश्री]
पूज्य आगमोद्धारक आचार्यदेव श्री आनंदसागर सूरीश्वरजी म. सा. (किञ्चित् वैशिष्ठ्यं समर्पितेन सह )
पुन: संकलनकर्ता मुनि दीपरत्नसागर (M.Com., M.Ed., Ph.D., श्रुतमहर्षि)
'सवृत्तिक- आगम- सुत्ताणि' श्रेणि भाग-36
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28/07/2017, शुक्रवार, २०७३ श्रावण शुक्ल ५
श्री आगमोद्धारक-वाचना- शताब्दी वर्ष - निमित्त 'आगम-वृत्ति - मुद्रण- प्रोजेक्ट'
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