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आगम (४०)
[भाग-३१] "आवश्यक"- मूलसूत्र-१/४ (मूलं+नियुक्ति:+वृत्ति:)
अध्ययनं [६], मूलं I [गाथा-], नियुक्ति : [१५६१...] भाष्यं [२४२...],
प्रत्याख्या नाध्यक श्रावकत्रतभकाः
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सत्राक
सू.]
आवश्यक-६ सयं ॥ ६ ॥ अहवा अणुव्वए चेव पडुच्च एकमादिसंजोगदुबारेण पभूयतरा भेदा निदंसिर्जति, तत्रेयमेकादिसंयोगपरिमाणप्रदर्शनपरा-15 हारिभ- यकर्तृकी गाथा ॥ द्रीया
पंचण्हमणुवयाणं इक्कगदुगतिगचउकपणएहिं । पंचगदसदसपणइक्कगे यू संजोग कायब्वा ॥१॥ 1८०७॥ एतीए वखाणं-पंचण्हमणुबयाणं युवभणियाणं 'एक्कगदुगतिगचउक्कपणएहिं चिंतिजमाणाणं 'पंचगदसदसपणगए-10
है कगो य संजोग णातबा' एक्केण चिंतिजमाणाणं पंच संजोगा, कह!, पंचसु घरएसु एगेण पंचेव भवन्ति, दुगेण चिंतिज-४
माणाणं दस चेव, कह !, पढमबीयघरेण एक्को १ पढमततियघरेण २ पढमचउत्थघरेण ३ पढमपंचमघरेण ४ वितियततिय
घरेण ५ बीयचउत्थघरेण ६ बीयपंचमघरेण ससमो ७ ततियचउत्थधरेण ८ ततियपंचमघरेण ९ चउत्थपंचमघरेण १०॥ त तिगेण चिंतिज्जमाणाणं दस चेव, कह १, पढमबियततियघरेण एको १ पढमबितियचउत्थघरेण २ पढमबितियपंचमघरेण
पढमतईयचउत्थघरेण ४ पढमततियपंचमघरेण ५ पढमचउत्थपंचमघरेण ६ वितियततियचउत्थघरएण ७ वितियततियपंचमघरेण ८ वितियचउत्थपंचमघरेण ९ ततियचउत्थपंचमघरेण १०१चउक्कगेण चिंतिज्जमाणाणं पंच हवंति, कह , पढमबिदतियततियचउत्थघरेण एक्को पढमबितियततियपंचमघरेण २ पढमबितियचउत्थपंचमघरेण ३ पढमततियचउत्थपंचमघरेण
४ बितियततियचउत्थपंचमघरेण ५, पंचगेण चिंतिजमाणाण एगो चेव भवतित्तिगाथार्थः॥१॥ एत्थ य एकगेण य जे पंच संजोगा दुगेण जे दस इत्यादि, एएसिं चारणीयापओगेण आगयफलगाहाओ तिणिवयमिकगसंजोगाण हुंति पंचण्ह तीसई भंगा। दुगसंजोगाण दसह तिन्नि सट्टा सया हुंति ॥१॥
दीप अनुक्रम
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॥८०७॥
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पूज्य आगमोद्धारकरी संशोधित: मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित..आगमसूत्र-[४०] मूलसूत्र-[१] आवश्यक मूलं एवं हरिभद्रसूरि-रचिता वृत्ति:
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