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________________ आगम (३५) “बृहत्कल्प” – छेदसूत्र-२ (मूल) ---------- उद्देश: [५] ---------------------------------------- मलं [८] ---------- मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित..........आगमसूत्र - [३५], छेदसूत्र - [२] "बृहत्कल्प" मूलं प्रत सूत्रांक असंथदिए निविदगिछसमावण्णणं अप्पाणेणं असणं या पडिग्गाहेना आहारमाहारेमाणे अह पच्छा जागेजा-अणुमाए सरिए अत्यमिए या, से जंच आसपंसि जंच पाणिसि जंच पदिग्गहे तं विगिजमाणे वा विसोहेमाणे वा नाइकमइ, सं अप्पणा भुञ्जमाणे अन्नेसि वा दलमाणे राइमो० चाउम्मासिथं परिहारहाणं अगुग्याइयं ।। मिक्य उम्गपषिनीए अगत्यमियसंकप्पे असंघटिए विमिच्छासमाचन्नेणं अप्पाणेणं असणं वा पडिम्माहेत्ता आहारमाहारेमाणे अह पच्छा जाणेजा-अणुग्गए सरिए जत्वमिए वा.से जब मुहेच पाणिसि च पडिग्गहंसिन रिमित्रमाणे वा चिसोहेमाणे वान अइकमाइ, अषणा भुजमाणे अन्नेसि वा बलमाणे सहभोषणपडिसेषणपत्ते आवजह चाउम्मासियं परिहारद्वा अणुग्पाइर्य १४५ १५॥ इह खलु निग्गन्धस्स या निग्गन्धीए या राओ या पियाले या सपा सभोयणे उग्गाले आगच्छेजा ने विगिजमाणे वा चिसोहेमाणे वाड नो अइकमा उम्गिलिना पचोगिलमाणे राइमायणपडिसेषणपने आपना चाउम्मासिष परिहारदा अग्याइयं १७७।१०। निम्मन्यस्स यमाहापडकुले पिण्डवायपडियाए अशुष्पविडम्स अंतो पडिग्गाहंसि से पाणेवा बीए पा रए वा परिवारजेना संचसंचाएर विगिचित्तए वा विसोहित्तए वा तो पुख्यामेव आलोइय२विसोहियरसओ संजयामेव भुजा वा पिएज वा, तं च नो संचाएइ विमित्रत्तए वा विसोहेनए मा नै नो अग्यणा भुनेजा नो असि दाबए एमन्ने बहुफाए पएसे घंटिले पटिलहिता पमजिला परिद्ववेयो सिया २१३' - १० निग्गन्धस्स य गाहापाकल पिण्डयायपडियाए अणुप्पबिगुस्स अंतो पडिग्गाहर्गसि दए वा दगरएवा दमसिए या परियारलेजा से बडसिणे भोवणजाए परिभोत्तो सिया, से बनो उसिणे सीए भोयगजाए तं नो अप्पणा सुभेजा नो अन्नसि दावए एगन्ते बहुपामुए पएसे वंटिले पडिलेहिता पमजित्ता परिवेयो सिया २३५।१२। निग्गन्धीए बराओ । पा पियाले वा उचारं वा पासवर्म या निगिठमाणीए वा विसोहेमानीए वा अन्नपरे पमुजाइए वा पक्लिजाइए वा अन्नयर इन्दियणायं परामुसेजान च निग्गन्धी साइजेजा इत्यकम्पपडिलेवगपत्ता आवजह चाजम्मासियं परिहारहाणे अणुग्धाइयं । १३। निग्गन्धीए य राजओ वा चियाले वा उच्चार वा पासवर्ण या विगिशमाणीए वा पिसोहेमाणीए वा अन्नयरे पसुजाइए पा पपिसजाइए या अन्नवरसि सोयसि ओगाहेमा संच निग्गन्धी साइनेजा मेहुणपडिसेषणपत्ता आपना चाउम्मासिय परिहारहाणं अग्याइयं ' २ १ नो कप्पन निमान्धीएएगाणियाए होतए।१५। नो कप्पा निम्गन्धीए एनाणियाए गाहानाकुल भत्ताए वा पाणाए वा निक्खमित्तए वा पविसित्तए वा।१६। नो कम्पा निग्गन्धीए एगाणियाए पहिया विधारभूमि या विहारभूमि वा निक्लमित्तए वा पविसित्तए वा।१७ नो कप्पा निमन्धीए एनाणियाए गामाणुगाम जिलाए।१८ानो कप्पा निगान्धीए एमाणियाए वासावास पत्याए '२५१।१९। नो कप्पइ निग्गन्धीए अचेलिवाए होतए '२५६।२० नो कप्पड निग्गन्थीए अपाइयाए होतए '२६०॥२१नो कप्पइ निम्गन्धीए बोसङकाइयाए होतए '२११।२२। नो कम्पा निगान्धीए बहिया मामरस बा जाब संनिनेससा मा उड्दै माहाओ पगिनिमय २ सूराभिमुहाए एगपाइयाए ठिचा जावाषणाए आयापेराए। शकपद से उपरसवरम अंतो बगहाए संघाडिपडियदाए पलंपियवाहियाए समतलपाइयाए ठिया मामायणाए आपातए २६९।२४ानो फापा निम्मान्धीए ठाणाइपाए होताए ।२५ानो कप्पड निमाथीए पडिमाइयाए होतए। २६ । नो कप्पा निम्मन्थीए उकृतियासणिवाए दोनए ।२७। नो कम्पा निग्मान्धीए नेसिजियाए होतए ।२८ानो कपन निग्गन्धीए वीरासणियाए होत्तए । २९ । नो कम्पा निग्गन्धीए दण्डासणियाए होनए । ३० । नो कापड निम्गन्थीए लगण्डसाइयाए होनए ।३१। नो कप्पड निमान्धीए ओमंथियाए होचए।३२॥ नो कम्पा निग्गन्धीए उत्साणिवाए होलाए ।३३। मो कप्पा निग्गन्धीए अम्मसुजियाए होलए।३४ानो कप्पा निगान्धीए एगपाखियाए होलए '२८११३५ नो कप्पर निमन्त्री आउाणपगं धारेचए या परिहरित्तए ना।२६। कप्पद निगन्धा जाउणपहर्ग धारेत्तए वा परिहरित्तए वा । ३७१नो कन्या निमन्धीर्ण सापासि आसनसि विडिलाए वा निसीइनए वा आलइलाए पातुष्टिलाए पा।३८ा कप्पद निग्गन्धाणे सावरसति आसमिचिदिलाएगा निसीए वा आसत्तए | वा तुपट्टित्तए ना।३१। नो कप्पइ निम्मन्दीर्ण सविसाणंसि फरगसि वा पीडसि बा जाच तुबहित्तए था। ४० कप्पा निग्गन्धाणं जाप तुयहितए या '२८९ ४१नो कल्पह निग्गन्धीण सवेण्टय खादय धारेत्तए पा परितरित्तए बासशकपा निगन्याण सपेष्ट्य लाउय पारेनए वा परिहारित्तए वा २९.' १४ानो कप्पड निरगन्थीन सपेष्टया पायकेसरिया पारेत्तए वा परिहरितए वा ।४४ कप्पा निग्गन्यागं सवेष्टया पायकेसरिया धारेतए वा परिहरिलए चा '२९१।४५ नो कप्पर निगान्धीणं दारूवार्य पायपुर्ण धारेलएका परिहरितएवा।४६ाकापड निगान्धार्ण दापदण्ड पायपुरधारेत्तएका परिहरितएवा'२९२४ नोकपा निग्गंधाण वा निग्गंधीण वा अनमस्स मोर्य आइतएवा आपमि. नाए वा नन्नत्यागादानागाडेसु रोगायकेसु ३१२॥४८ानो कप्पा निग्गन्याण पा निम्गन्धीण वा पारियासियरस आहारक्स जाब तपप्यमाणमेत्तमवि मृहप्पमागमेत्तमविबिंदु प्पमासमेतमपि आहारमाहारेतर, मन्नाय आगाटानागादेस रोगायोस ३२८१४९ नो कप्पड निग्गन्धाण वा निग्गन्धीण पा पारिवासिएर्ण बालेवणजाए गाया (२४२) मुनि दीपरळसागर अनुक्रम [१५०] ~128~
SR No.035027
Book TitleSavruttik Aagam Sootraani 1 Part 27 Maransamadhi Prakirnak Mool evam Sanskrit Chhaya Nishith Bruhatkalp Vyavahar Dashashrutskandh Mahanishith 5 Chhedsutrani Moolam Jitkalp Moolam evam Bhashyam Panchkalp Bhashyam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherVardhaman Jain Agam Mandir Samstha Palitana
Publication Year2017
Total Pages330
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_maransamadhi
File Size99 MB
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