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________________ आगम “बृहत्कल्प” – छेदसूत्र-२ (मूलं) (३५) ---------- उद्देश: [४] ---------------------------------------- मलं [१६] ---------- मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित...........आगमसूत्र - [३५], छेदसूत्र - [२] "बृहत्कल्प" मूलं प्रत सूत्रांक [१६] 22048e4RNAP कम्पकककककक आयरिय वा जाच गणापच्छेवयं या अर्ज गर्ग उपसंपजिलाण विहरितए, कप्पद से आपुच्छिला आयरियं वा जाव गणावोदय वा अन्य गण उपसंपजिताण निहारितए, ते पसे पियरेना एवं से कप्पर अर्थ गणं उपसंपजिलाणं पिडरितए, से य से नो बियरन्ति एवं सेनो कम्पद अग्नं गर्ण उपसंपजिसार्ग विहरिसए।१६। आयरियउवमाए य गणाओ । अवरुम्म इमोजा अन्नं गणं उपसंपजिनाणं विहरिनएनी से कपडायरियउक्झायरस आपरिवउपाय अनिपिखवित्ता अन्नं गणं उपसंपमित्तार्ण विहरित्तए.कपडसे आयरिषउक्झायस्स आपरिपउबज्झायत्तं निविसचित्ता अन्नं गर्म उपसंपजित्ता बिहरितए, नो से कप्पह अणापुच्छित्ता आयरिय बाजाचगणावच्छेइयं वा अन्नं गर्ण उपसंपजित्तार्ण बिहरित्तए, फापद से आपुच्छिता आयरियं वा जाच गमावच्छेहयं या अन्नं गर्ण उपसंपजित्ताणं विह रित्तए, ते य से वियरेजा एवं से कापड अनं गणं उपसंपजित्ताणं बिहरितए, | सेब से नो पियरेजा एवं से नो कप्पइ अन्नं गणं उपसंपाजिनार्ण विहरित्तए '५७७९७.भिक्षु य गणाओ अवकम्म इच्छेना अन्नं गणं संभोगपडियाए उपसंपजिनाणं निहरितए, नो से कप्पा अगापुच्छित्ता आयरियं वा उक्झायं पा पति वा थेरं वा गणिं वा गमहरं वा गणावच्छेदयं वा अन्नं गणं संभोगपडियाए उपसंपजिनाणं विहरितए, कम्पहा से आपत्तिा आपरिवंवा जारगणावच्छेहर्या अन्नं गणं संभोगपडियाए उसपजित्तार्ण निहारित्तए, तेचसे चियरेजा एवंसे करपड अन्नं गणं संभोगपडियाए उपसंपजिताणं बिहरित्तए, य से नो पियरेजा एवं से नो कप्पड अन्न गण संभोगपडियाए उपसंपमित्तानं बिहरितए, जत्युत्तरिय धम्मविणयं लभेजा एवं से कप्पड अन्नं गर्ग संभोगपटियाए उपसंपजिनाणं विहरितए, जत्थुत्तरियं धम्मषिणयं नो उमेजा एवं से नो कप्पद अन्नं गर्ग संभोगपडियाए उपसंपजिसाणं विरितए '५९४१८ागणावच्छेहए यगणाओ जनकम्म हुडेजा अन्नं गणं संमोगपडियाए उनसंपजिला चिडस्लिएनोसेकपागनावोपस्सममावन्दप अनिक्लिपित्ताविहरितएकापसे गणापच्छेदयस्स गणापच्छेदयत्तं निक्विचित्ताण अन्नं गर्ग संभोगपडियाए उनसपजित्ताणं बिहरितए,नो से कप्पड़ जणाधुच्छित्ता आयरियं वा जावगणावच्छेद्यं वा अन्न मर्ग संभोगपतियार उपसंपजित्ता विहरितए, कप्पड़ से आपुष्मिता आपरियं वा जाव गणावच्छेदयं वा अन्नं गणं संभोगपटियाए उवसंपजिनाणं विहरिचए, ते य से पियरति एवं से कप्पइ अन्न गर्ण उनसंपजितत्ताण चिहरितए.तेचसे नो पियरति एनसेनी कापड अन्नं गर्ण संभोगपरिवाए उपसंपक्जित्ता निहरितए, जत्थतरिच चम्मविणर्ष लभेज्जा एवं से कप्पा अन्नं गणं संभोगपडियाए उपसंपजिनाणं बिहरितए, जत्युत्तरिय चम्मविषय नोलभेजा एवं से नो कप्पा अर्थ गर्ग संभोगपडियाए उपसंपमित्ताण चिहरितए।१९। आचरियावन्झाए य गणाओ अबकम्म इच्छेना असं गर्ण संभोगपडियाए उपसंपजिताणं विहरितए नो सेकणा जापरिषउपज्झायरस आयरियउवझायतं अनिक्खिवित्ताविहरितए, कम्पह से आयरियउचज्झाया आपरिषउपजमायतं निक्लिपित्ताणं जगणं समोगपडियाए उपसंपलिताण विहरिसएनोसेकापड अनापच्छिता आयरियं वा जाव गणावच्छेदर्य वा असं गर्ण संभोगपडियाए उपसंपतिताणे विहरित्तए, कष्पह से आपुचिता आयरिय बाजाय गणावइयं वा अखं गर्ण संभोगपडियाए उपसंपजिना बिहरितए,ते य से वियरति एवं से कप्पा असं गणं संभोगपटियाए उपसंपजिवाणं विहरिनए, ते य से नो विपरति एवं से नो कप्पद अचं गर्ण संमोगपटियाए उपसंपजिनाणं विहरिलए, जत्युत्तरिय धम्मविणयं लभेजा 3 एक्सेकापड़ ज गर्ग संभोगपडियाए उनसंपन्जित्ता निहरितए, जत्युत्तरियं धम्मविणयंनो लभेजा एवं सेनो कप्पा अगणे संभोगपटियाए उपसंपजिताणं बिहरिसए । २०॥ भिख य इलेजा अ आयरियाउनसायं उडिसावनएनी से कणा अनापत्तिा भापरियं वा जाव गणापच्छेदयं वा अपायरियउवज्झार्य उरिसावेत्तए, कापसे जापत्तिा आयरियंपा जाच गणावच्छेयं वा अजापरिवडकमा उहिसावेत्तएतेबसेयरंति एवं सेकपा अजापरिया उपशायं उदिसावेतए,सेय से नो विपरन्ति एवं सेनो ग्या असं आयरिपउवमार्य उदिसावेतपनोसेकसि कारण अदीवसा जसं आपरिषउपायं उदिसावेतएकापहरीसिकारणवीरत्ता./२१गणापडएयरपोजा अर्थ आपरिषउपन्माषं उदिसापेत्तए, नो से कप्पइ गणावच्छेइवस्स गमावच्छेदयत्तं अनिनिस वित्ता अचं आयरियवसायं उदिसावेतए, कपद से गणावड़यस गणावच्छेइयत्तं निक्सिविता . उरिसावेत्तए,मोसे कप्पह अणापुत्तिा आयरिब चा जाच गणावच्छेदय या अापरिषउक्झाय दिसावेत्तए, कप्पा से आपुच्छिता आयरियं वा जाप गणावडयं वा अमं आयरियउबझायं उरिसावला.ते बसे पिपरनि एसेप्पा अभापरिपतवार्य उदिसावेत्तए,ते य से नो विचरति एक्से नोकप्पा अन्नं आपरिषउपजमा उहिसावेत्तए, नो से कप्पा तेसि कारणं अदीवेत्ता अर्थ आपरिपतवज्झाचं उदिसावेत्तए, कन्या से तेसि कारणं दीवेता अावरियं वा उपाय वा उदिसावेत्तए '६१७ ।२२। आयरिवउपग्झाए इच्छेला अर्थ आपरिवउक्झायं उदिसावेत्तए, नो से कप्पाइ आयरियटषशायरस आयरियाउवायत्तं अनिक्लिपित्ता अजापरिषउपजमार्य उदिसा९६५महकायमूर्य मुनि दीपरनसागर दीप अनुक्रम [१२६] AMPORTANP ~126~
SR No.035027
Book TitleSavruttik Aagam Sootraani 1 Part 27 Maransamadhi Prakirnak Mool evam Sanskrit Chhaya Nishith Bruhatkalp Vyavahar Dashashrutskandh Mahanishith 5 Chhedsutrani Moolam Jitkalp Moolam evam Bhashyam Panchkalp Bhashyam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherVardhaman Jain Agam Mandir Samstha Palitana
Publication Year2017
Total Pages330
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_maransamadhi
File Size99 MB
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