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________________ आगम (३५) “बृहत्कल्प” – छेदसूत्र-२ (मूलं) ---------- उद्देश: [२] ------------------------ ------------ मूलं [२४] ---------- मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित..........आगमसूत्र - [३५], छेदसूत्र - [२] "बृहत्कल्प" मूलं प्रत सूत्रांक [२४] पि लिए '४३८।२४ सागारिचस्स पृथाभने उदेसिए चेदए पाहुनिचाए सागारिया उपगरगजाए निहिए निसडे पाविहारिए त सागारिको देश सागारियरस परिजणो देश तन्हा पाए | नो से कप्पा पडिम्मानिए ''|२५| सागारियल पूषामने उरेसिए नए जाप पारिवारिएतनी सागारिओ देह नो सागारियस परिजणो रेड सामारियरस पृथा देह तन्हा दावर नो से कप्पा ।२६। सामारियरस पूयाभत्ते उदेसिए बेहए पाहुडियाए सागारियरस उपगरणजाए निहिए निसहे अपबिहारिए त सामारिनो देह सामारियस परिजनो बा देह सम्हा रावए नो से कापा पहिगाहेनए।२७। सागारियस्सा पूयामते जाव अपरिहारिए तं नो सामारियो देह नो सागारिबस्स परिजणो देह सागारियरस पूया देह तम्हा बाबए एवं ससे कप्पर परिमाहेनए '४४४१२८ाकपा निग्गन्धाण वा निग्गन्धीण वाइमाई पत्रावस्थाई धारेसए वा परिहरित्तए वा, अनिए मभिए सागए पोचए तिरीकपड़े नामं पत्रमे पारशकपा निमन्धान वा निम्नचीण वा इमाई पत्र स्वहरणाई पारितए वा परिहरिसए वा, संजहा-ओग्गिए उहिए सागए पदाधि(विण्यावि)पए माचिपिएनि नाम । पामेनिमिY६४।३०॥बिहजो उसओ२॥नो कप्पा निग्गन्धान निम्गन्धीगं उपस्सयंसि आसत्तए याचिद्वित्तएमा निसीइत्तए वा तुहितएमा निदात्तए या पयलाइत्तए चा असणं वा० आहार आहारतए उचारं वा पासवर्ण वा खेलं वा सिहा वा परिद्ववेत्तए समायबा करेनए साणं वा माइत्तएकाउस्सा ना करेत्तए ठाणं वा ठाइलए '१२३।१।नोश कपद निम्मन्धी निग्गन्धा उपस्सयसि आसइत्तए जाच ठाणं ठाइए '१२६।२।नो कपणा निधी सलोमाइंचम्माई अहिद्वितए '१४०।३। कम्पा निम्मन्याण सलोमाईम चम्याई अहिद्वितए, सेविय परिभूते नोवेव अपरिभूते, सेविय पाडिहारिए नो पेवणे अपडिहारिए, सेविय एमराइए नो चेवणं अगराइए '१६४' नो कन्याह निम्मन्याण वा निम्गन्धीण वा कसिणाई पम्माई चारेसए वा परिहरितएवा १९१।५।कपा निग्गन्धाण वा निर्माचीण बाबकसिणाई चम्माई धारेत्तए वा परिहरितए या '१९८६ानो कप्पद निमान्धाण मा निमन्त्रीण पाकसिचाई पत्याई धारेत्तए वा परिहरित्तए पा, कप्पा निम्मन्याण या निग्गन्धीण वा अकसिणाई वत्थाई धारेनए वा परिहरिलए वा '२३७।७। नो कप्पाइ निग्गन्धाण वा निग्गन्धीय वा अभिभाई पत्याई धारेतए वा परिहरित्तए का, कप्पा निम्मन्याण या निम्मान्धीण मा निघाई क्त्याई धारेनए वा परिहरिलए या '५१७' Icानो कप्पा निमान्धाणं उम्गहमन्त वा उग्गहपन वा धारेत्तए या परिहरित्तए या '४२२।९। कप्पा निग्गन्धीचं उग्गहणन्तर्ग वा ओगाहणपान वा परित्तए वा परिहरित्तए वा "४६५।१०।निग्गन्धीए बगाहावाकुल पिण्डवावपटियाए अणुप्पपिडाए चेलहे समुपजेजा नो से कप्पा अपणो निस्साए बेलाई पहिग्माहेत्तए, कप्पाह से परिणीनिस्साए चेलाई पडिग्गाहेनए, नोबसे सत्य पनिणी समाणी सिया जे सत्य समाणे आयरिए पा उपजमाए या पबत्ती बा बरे वा गनी वा गणहरे वा गणावचोपए वाचणं पुरो कटु विहरति कप्पद से तमीसाए चलाई पदिग्गाहेत्तए १०५।११। निम्मन्या तप्पटमबाए संपवयमाणस्स कप्पद स्यहरणगोच्छगपतिमाहमापाए तिहिय कसिणेहि बत्यहि आयाए संपचालए, सेब पुरोहिए सिवा एवं से नो कप्पड़ रपहरणपडिग्गाइगोच्छगमायाए तिहि य कसिमेहिं वत्यहिं आयाए संपवात्तए, कापा से हापरिमारियाई पाथाई गहायआयाए संपादनए'५५०।१२। निग्गन्धीएपंतपढ़मयाए संवच्चयमाणीए कापासे स्पहरणगोगपहिग्गहमायाए चकिसिगेहि वरचडिआपाए संपातए.सा य पुत्रोचहिया सिधा एवं से नो कप्पा स्वहरणगोठगपदिग्गमायाए चाहिं कसिनेहि पत्येहि आचाए संपाइनए, कप्पद से बहापरिमाहियाई परवाहं गहाथ आयाए संपवताए ५५३११३।नो कप्पर निम्मन्माणमा निग्गन्धीणना पटमसमासराडेसपशाईपेलाई पदिगाहेत्तए,कपा निमान्धाण वा निम्गन्धीण वा दोषसमोसरदेसपत्ताई चेलाई पडित गाहेनए ६२४१४ाकप्पह निर्गचाग वा निधीण वा अहाराइणियाए पेलाइ पडिगाईलए '६८३।१५। कप्पा निग्गंचाण या निर्णधीन पा महाराइणियाए सेज्जासंधारय पहिगाहेनए '७२९।१६/प्पा निम्मंधाण पा निधीण वा बहाराइभियाए किनकम्मं करेत्तए '८५९।१७ानो कप्पद निर्माचाण वा निांचीच वा अंतरनिहसि चिहित्तए वा जासहचए पा निसीहतए पातुबहिलाए या निहारतएवा पयत्वाइलए वा असणं वा. आहारमाहारेलए उचारं वा परिवेसएसझावा करतएमा वा माइतए काउस्सगं वारेनए ठाणं वा ठाइए, जहपुण एवं जाणेजाजराजुण्णे वाहिए घेरे तबस्सी सुब्बालेकिलन्ते जजरिए मुजवा पपडेज वाएवं से कप्पाअंतरमिहसि चिद्विताएवा जाप ठाणे या ठाइनाए '८८१।१८ानो कप्पा निर्मचाण वा निर्माचीच वा अंतरमिहंसि जाव चउगाई वा पंचगाह वा आइक्वित्तए वा विभाबित्तए पा किहितए ना पहचए वा नन्नत्य एगनाएण चा एगवागरमेश था एगमाहाए पा एमसिएच बा, सेविय ठिबा, नो पेव अहिचा '९०५।१९। नो कम्पा निग्गंधाण वा निमांचीण बाजारगिहसि इमाई पंचमहप्रयाई समावणाई आइक्खिनए बाजार पोहत्तएबा ननस्थ एगनाएणवा जाव एगसिलोएक वासेविय ठिबा, मोरगं अद्विचा ९१३।२०।नो कप्पद निर्माधाण वा निम्गवीण पा पारिवारिच सेजासंचारवं भाषाए अपरिहद संपवात्तए १२५।२१।नो कप्पा निधाण वा निर्माचीण वा सामारिवानिव सेजासंचार माचाए अहिगरण (२४१) ९६४ हल्कस्यापूर्व -३ मुनि दीपरतासागर अनुक्रम [७४] अत्र उद्देशक: ३ आरब्ध: ~124~
SR No.035027
Book TitleSavruttik Aagam Sootraani 1 Part 27 Maransamadhi Prakirnak Mool evam Sanskrit Chhaya Nishith Bruhatkalp Vyavahar Dashashrutskandh Mahanishith 5 Chhedsutrani Moolam Jitkalp Moolam evam Bhashyam Panchkalp Bhashyam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherVardhaman Jain Agam Mandir Samstha Palitana
Publication Year2017
Total Pages330
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_maransamadhi
File Size99 MB
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