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________________ आगम (३४) “निशीथ” – छेदसूत्र-१ (मूल) ---------- उद्देश: [१३] -------------- ------------- मूलं [१७] ---------- मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित...........आगमसूत्र - [३४], छेदसूत्र - [0] "निशीथ" मूलं प्रत सूत्रांक [१७]] दीप अनुक्रम [८०५] उत्थियाण पामारस्चियान या कोडगकर्म को करने या सागरमुहकर्म०१८ पसिर्ण कहेड०१७ पसिणापसि०२००ती निमि०२१ लसण।२२२० समिणा२३॥ पिन पाउंजह पाउंजत या सा०५०'१२ एवं मन्त।२५/जोग ।२६ महान मुटाणं विप्परिवासियाणं ममा वा पचेएर संधि या प० मीण वा संधि प. संघीयोबा मग प० पएन वा सा-२० घार्ड पवेएड पोएं बा सा२८ा निहि.६२।२९४ जे मिषनू मचए अप्पाणं देहद देहवं या सा-1३० अहाए।३१॥ एवं असीए।३२॥ मभिए 1३३ उहापाणे।३४॥ो।३५/कारपा)मिए।३६० पसाए '७३३० बम पडिकम्र्म करेह करतं या सा-३८ा-विरेयणं०३९।०वमनविरवर्ण-18010अरोगियं०'८४४१३ ०पासस्थ बंदद परत पासा पसंसह पसंसले बा सा '११९४२-४३॥ एवं ओस ४४-४५ कुसील ४६-४अनिविय ४८-४९॥ संसत । ५०.५१। काहिये । ५२-५३। पासणिय १५४-५५। मामगं । ५६.५। संघसारगं '११९१५८-५९० चाइपिट मुंजा मुंजतं वा सा-1६1 एवं इ०।६१। निमित. ६२। आजीनियः । ६३ावणीममपि०१४॥ लिगिण्ठाया कोहरामाण ६७ामाचा गदालोमा १६९ | विजा130। मन्त०1७१। जोग०1७२ पुण०1७11 अन्तवाण, '२१६'तसेपमाणे आवश जाइ चाउम्मासिय परिहारहाण उम्पादयं । ७४॥ तेरसमो उदेसजो १३॥ जे मिक्सू पहिम्मद किगड किनावेद कीर्य आहद केजमार्ग पहिगाहेर पडि.सा. ११०पामिचेर पाभिचाड पामिनिय २१० परिषद परिषदायेइपरियहि अच्छेनं अनिसिह अभिहई ५१जे निक्यू जहरेग पडिग्गहर्ग गणि उरिसिय गणि समुदिसिय तं गणि अणापुदिश्य अणामन्तिय अनमानस्स वियरह वियर पासा. सुहगरसपा सुटियाएका वेश्मरसवा रिवाए वा महत्वच्छिन्नस्स जपायच्छिन्नरस अनासच्छिन्नस्स अकष्ण-i छिन्नम्स अपोइछिन्नस्स सकारस देव देतं वा सा०६० सुहागरस वा जाप वेरिवाए पाहत्पच्छिमस्सा ओइच्छिमस्स असकस्स न देहनत वा सा.'१५५'अजेनिक्यूपडिग्गाई अणलं अविरं अधुर्व अधारगिज परेड परेंत या सा1८1० अलं थिरं पुर्व धारणिजन घर नपाल वा सा- '१५९९राजे मिक्यू वाणमन्तं पडिग्गा दिया करे कोल का सा 1१०1विषण पटिम्गाह वणमन्त।११॥जे मिक्सू नोनपए मेपहिगाहे लदे तिकटुतेखेगवाघएणना नवणीएणवावसाए वा मासेजमा मिलिंगेजवा मक्खते वा मिलिगंतं वा सा० ।१२।०लोच ना कोण ना मुणोण वा पण या महोलेज या उजलेज वा उहडोलतं वा उपलहितं वा सा०1१३० सीओरगवियडेण वा जाच उसिणोदमानियोग वा उच्छोलेमा बा पोएन पान१४० बहुदेवसिएम तेरोष वा लोणचा सीओदगविषण जाप सा१५-१अजेणवए मे पहिया निह एवं दोगमामाणियहाजे सुस्मिगंधे पहिम्गहे लादेशनिक बहदेवसिएणसीओरमपियरेणना जाच सा1१८-२राजेनोमवए सम्मिगंधणविदोष गमा।जे दुम्मिगंधे पटिम्गहगे लदेनिम्भिगण दो वेव गमा मेयमा'१७४ ।२४-२९। जे मिक्यू अणन्तरहियाए पुढबीए जाच जीवपतिहिते सटे जान ससकमनसि चलाचले सपडिग्गाहर्ग आयावेज वापयामेजबाजाचा पवावंतं वा सा०॥३०-४आएवं जे. कुलियसि पा जापलेल्यसि वा सपदिग्गहरी आया पया साहा४१सजेसंचसि जान पासायसिवाजन्नयरंसि वा अंतरिक्खजायसि सपति- १७९४२२.पतिमाहामओ पुढवीकार्य आउकार्य नेउकार्य नीहरहनीहरपेड नीहरियं आइव देनमार्ण पडिग्गाहेर पडिग्माइल बा सा०1४1०दाणि वा मूलाणि वा पत्नाणि वा पुष्पाणि वा फलाणि मानीवाणि वा०४४ा ओसहिनीयाई ॥४५॥ तसपाणजायं. '१५५'४६जे मिष पडिग्मग णिको णिकोरावह निकोरिच आहद देजमाणं पहिमाहेड पडिगाहनं वा सा० २०.१४ाजे भिक्यू नायबा अनायबा उपासमंवा अगुवासर्गचा गामन्तरंसिपायामपहन्तरसिया पडिग्गाहर्ग मोनालियर जाया जातवासा४८०अणुवास या परिसामजाओ उहवेता २१३१४९जे भिक्यू पदिग्गहगनीसाए उपबं वसा वसंत बासा 11वासाचासं० २१७ सेवमाणे आवजा चाउम्मासिय परिहारहाणं उम्पाइयं ।५१॥ बदसमोर उरेसओ १४॥जे मि मिक्सूर्ण आबादं वह पर्यत वा स्व शएवं करू. आगाढकस० शिवअनपरीए अचासायजाए अबासाएर '२१४ाजे भिषयू सचिन अम्म भुजा मुंजन नासा1५. विसह विसंत वा साना-सचिन जम्ब वा अम्बपतिबा अम्बमित्तं वा अम्बसालगं वा अम्बहालवा अम्बचोयग या मुनमुंजी बा सा०1310 बिरसद विडसन वा सा- सचिनपति अभभुजा एवं सचिनपनिदिएमपि पनारिआन्ठानमा मेवा'२५८९-१०जेमिष अगस्थिएणवागारपिएणमा अप्पमो पाए आमजावेज वा पमजावेज वा आ. प.सा.एवं नपाउसगमओ यत्रो जाच सीसवारियं. जे गामाणुगामं इनमाणे अनउस्थिएन वा गारस्थिएन वा अप्पगो सीसलुनारियं कारपेड कार सा०१३-६५। जे मिक्सू आमन्नारे या जाच महामिद्दसि वा उचारपासवर्ण परिवेश परिहवन या सा- '२६८१६६-७४ जे मिष अन्नउन्धियरस वा गारस्थियस्स का असणं दे पा सा । ७५० पहिला परिच्छत वा सा- 1961 पाय वा पडिग्गहवा कंबलं वा पायपुश्वर्ण वा देश लवासा 13310 पदिच्छाद ९५८ निशीथ वेदमूर्ष उसी-२५ वरतसागर GAयकाका यसपyavat अत्र उद्देशक: १५ आरब्ध: ~116~
SR No.035027
Book TitleSavruttik Aagam Sootraani 1 Part 27 Maransamadhi Prakirnak Mool evam Sanskrit Chhaya Nishith Bruhatkalp Vyavahar Dashashrutskandh Mahanishith 5 Chhedsutrani Moolam Jitkalp Moolam evam Bhashyam Panchkalp Bhashyam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherVardhaman Jain Agam Mandir Samstha Palitana
Publication Year2017
Total Pages330
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_maransamadhi
File Size99 MB
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