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[भाग-२६] श्री निरयावलिका-आदि (उपांगसूत्राणि १९-२३)
श्री चतुःशरण-आदि (९ प्रकीर्णकसूत्राणि २४-३२)
नमो नमो निम्मलदसणस्स
पूज्य श्रीआनंद-क्षमा-ललित-सुशील-सुधर्मसागर गुरुभ्यो नम: १९.निरयावलिका,२०.कल्पवतंसिका,२१.पुष्पिका,२२.पुष्प्चूलिका,२३.वृष्णिदशा
मूलं एवं चंद्रसूरिजी विरचिता वृत्ति: २४.चतु:शरण,२५.आतुरप्रत्याख्यान,२६.महाप्रत्याख्यान,२७.भक्तपरिज्ञा,२८.तंदुलवैचारिक,२९.संस्तारक,३०.गच्छाचार,३१.गणिविज्जा,३२.देवेंद्रस्तव- मूलं एवं छाया
[आद्य संपादकश्री] पूज्य आगमोद्धारक आचार्यदेव श्री आनंदसागर सूरीश्वरजी म. सा.
(किञ्चित् वैशिष्ठ्यं समर्पितेन सह) पुन: संकलनकर्ता→ मुनि दीपरत्नसागर (M.Com., M.Ed., Ph.D., श्रुतमहर्षि) 28/07/2017, शुक्रवार, २०७३ श्रावण शुक्ल ५ । 'सवृत्तिक-आगम-सुत्ताणि' श्रेणि भाग-२६
श्री आगमोद्धारक-वाचना-शताब्दी वर्ष-निमित्त 'आगम-वृत्ति-मुद्रण-प्रोजेक्ट'
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