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________________ आगम (२९) “संस्तारक” - प्रकीर्णकसूत्र-६ (मूलं+संस्कृतछाया) -------------------------------- मूलं [७१]-------------- पूज्य आगमोद्धारकरी संशोधित: मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित..आगमसूत्र-[२९] प्रकीर्णकसूत्र-[०६] संस्तारक मूलं एवं संस्कृतछाया: रि %A5% प्रत सूत्रांक ||७१|| 8 कुल्लउरंमि पुरवरे अह सो अम्भुढिओ ठिओ धम्मे। कासीअ गिद्धपट्ट पञ्चक्खाणं विगयसोगो॥७१॥६५७॥ अह सोचि चत्तदेहो तिरिअसहस्सेहिं खजमाणो अ । सोऽवि तह ॥ ७२ ।। ६५८ ॥ पाडलिपुत्तमि पुरे| चाणको नाम विस्सुओ आसी । सवारंभनिअत्तो इंगिणिमरणं अह निवन्नो ॥ ७३ ।। ३५९ ॥ अणुलोमपूअ-| सृणाए अह से सलू जओ डहइ देहं । सो तहवि डज्झमाणो पडि० ॥७४ ॥ ६६० ।। गुट्टयपाओवगओ सुर्व-18 धुणा गोमये पलिवियंमि । इज्झतो चाणको पडि०॥ ७५ ॥ ६६१ ॥ काईदीनपरीए राया नामेण अमपघो-| सुत्ति । तो सो सुअस्स रजं दाऊणं इह घरे धम्मे ।। ७६ ।। ६६२ ।। आर्हिडिऊण वसुहं सुत्सत्यविसारओ सुअरहस्सो । काइंदिचेच पुरि अह पत्तो विगयसोगो सो ।। ७७ ॥ ६६३ ॥ नामेण चंडवेगो अह से पहि - 9-7 2- दीप अनुक्रम - [७१] 9-2-9 य(भार्या) स प्रहाय ॥ ७० ॥ कोलपुरे नगरे अब सोऽभ्युत्थितः स्थितो धौ । अकाच गृष्य प्रत्याख्यानं विगतशोकः ॥ १॥ | अथ सोऽपि सक्तदेहस्तिवक्सहरः खाद्यमानः । सोऽपि तथा खाद्यमानः प्रतिपन्न उत्तममर्थम ।। ७२ ।। पाटलीपुत्रे पुरे चाणक्यो नाना विधुत आसीत् । सर्वारम्भनिवृत्त इनिनीमरणमय निषण्णः ।। ७३ ।। अनुलोमपूजनयाऽथ तख शत्रुर्दहति देदम् । स तथापि दयमानः प्रविपन्न उत्तममर्थम् ।। ७४ ॥ गोप्ठे पादपोपगतः सुवम्धुना गोमये प्रदीपिते । दसमानश्चाणक्यः प्रतिपन्न उत्तममर्थम् ।।७५ ।। काकन्या नगर्यो राजा नानाऽमृतघोष इति । ततः स मुताय राग्यं दत्त्वा इहाचरम् धर्मम् ।। ७६ ॥ आहिण्ड्य वसुधा सूत्राविशारदः धुतर-1|| एखः। काकन्दीमेव पुरीमध प्रामो विगतशोकः सः ।। ७७ ।। नाम्ना भण्डवेगोऽथ नस्य प्रतिनिछनत्ति तर्फ देहम् । स तथापि छिप-INI 5 ~225
SR No.035026
Book TitleSavruttik Aagam Sootraani 1 Part 26 Niryavalika Kalpvatansika Pushpika Pushpchulika Vrushnidasha Mool evam Vrutti Chatusharan Aaturpratyakhyan Bhaktparigna Tandulvaicharik Sanstarak Gacchachar Ganivijja Devendrastav Mool evam Chhaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherVardhaman Jain Agam Mandir Samstha Palitana
Publication Year2017
Total Pages312
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_nirayavalika
File Size66 MB
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