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________________ आगम (१५) [भाग-१८] “प्रज्ञापना” – उपांगसूत्र-४ (मूलं+वृत्ति:) पदं [१], ------------ उद्देशक: -,------------ दारं -, ------------ मूलं [...२३] + गाथा: (१८-४२) पूज्य आगमोद्धारकरी संशोधित: मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित..आगमसूत्र-[१५]उपांगसूत्र-[४] "प्रज्ञापना" मूलं एवं मलयगिरि-प्रणीता वृत्ति: प्रत प्रज्ञापनायाः मलय. वृत्ती . |१प्रज्ञापनापदे वा दरपुत्ये सूत्राक [२३]] कवन. ॥३२॥ गाथा: Secessemeseseeट से किं तं गुच्छा, गुच्छा अणेगविहा पन्नत्ता, त०-वाइंगणिसल्लइथुण्डई य तह कत्थुरी य जीभुमणा । रूवी आढइ णीली तुलसी तह माउलिंगी य ॥१८॥ कच्छंभरि पिपलिया अतसी बिल्ली य काइमाईया । वुधू पडोलकंदे विउव्वा वत्थलंदेरे ॥१९॥ पत्तउर सीयउरए हवति तहा जवसए य बोद्धचे । णिग्गुमिअंकतबरि अत्थई चेव तलउदाढा ॥२०॥ सणपाणकासमूग अग्घाडग साम सिंदुवारे य । करमद्दअद्दडूसग करीर एरावणमहित्थे ॥२शा जाउलगमीलपरिली गयमारिणि कुचकारिया भंडा । जीवइ केयह तह गंज पाडलादासिअंकोले ॥२२।जे यावना तहप्पगारा, सेत्तं गुच्छा । से किं तं गुम्मा, गुम्मा अणेगविहा पत्रचा, तं०-सेणयए णोमालिय कोरंटय बंधुजीवगमणोजे । पिइयं पाणं कणयर कुजय तह सिंदुवारे य ।।२३।। जाई मोग्गर तह जूहिया य तह मल्लिया य वासंती । वत्थुल कत्ल सेवाल गंठी मगदंतिया चेव ॥२४।। चंपगजीह णीया कुंदो (कन्दो) तहा महाजाई । एवमणेगागारा हवंति गुम्मा मुणेयव्वा, सेत्तं गुम्मा ॥ से किं तं लयाओ?, लयाओ अणेगविहाओ पन्नचाओ, तं-पउमलया णागलया असोग चंपगलया य चूतलता । वणलय वासंतिलया अइमुत्तय कुंदसामलया ॥ २५ ॥ जे यावने तहप्पगारा, से तं लयाओ।। से किं तं बल्लीओ ?, बल्लीओ अणेगविहाओ पन्नचाओ, तं०-पूसफली कालिंगी तुंची तउसी य एलवालुंकी । घोसाडइ पंडोला पंचंगुलि आयणीली या ॥ २६ ॥ कंगूया कंडइया ककोडई कारियल्लई सुभगा । कुयवाय वागली पाच वल्ली तह देवदाली य ।। २७ ।। अफेया अइमुत्तगणागलया कण्हसूरवल्ली य । संघट्टसुमणसावि य जामुवण कुविंदवल्ली य ॥२८॥ महिय अवावल्ली किण्हछीरालि जयंति गोवाली । पाणी मासाबल्ली गुंजीवल्ली य विच्छाणी ॥२९||ससिपी दुगोचफुसिया गिरिकण्णा मालुया य अंजणई ।दहिफोल्लइ कागलि मोगली दीप अनुक्रम [४६-८१] ॥३२॥ SARERatinine Anirasurary.com ~76~
SR No.035018
Book TitleSavruttik Aagam Sootraani 1 Part 18 Pragyapana Mool evam Vrutti Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherVardhaman Jain Agam Mandir Samstha Palitana
Publication Year2017
Total Pages426
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_pragyapana
File Size93 MB
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