________________
आगम
[भाग-१८] “प्रज्ञापना".
पदं [१], ---------------- उद्देशक: -1, ---------------- दारं -1, ---------------- मूलं [...४] पूज्य आगमोद्धारकरी संशोधित: मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित..आगमसूत्र-[१५]उपांगसूत्र-[४] "प्रज्ञापना" मूलं एवं मलयगिरि-प्रणीता वृत्ति:
प्रज्ञापनाया: मल
प्रत
य.वृत्ता .
सूत्रांक
गन्धपरिणयापि रसओ तित्तरसपरिणतावि कइयरसपरिणतावि कसायरसपरिणतावि अम्बिलरसपरिणयावि महुररसपरिणतावि१ प्रज्ञापफासओ कक्खडफासपरिणतावि भउयफासपरिणतावि गुरुयफासपरिणयावि लहुयफासपरिणताबि सीतफासपरिणतापि उसिण-18
जसण- नापदे रूफासपरिणतावि निद्धफासपरिणयावि लुक्खफासपरिणयावि सण्ठाणओ परिमण्डलसण्ठाणपरिणतावि बट्टसण्ठाणपरिणतावि तंस- प्यजीवप्र. |सण्ठाणपरिणयापि चउरंससण्ठाणपरिणयावि आयतसण्ठाणपरिणतावि २०, जे वण्णी हालिद्दवण्णपरिणया ते गन्धओ सुम्भिगन्धपरिणयावि दुग्भिगन्धपरिणयावि रसओ तित्तरसपरिणयावि कडुयरसपरिणतावि कसायरसपरिणताबि अम्बिलरसपरिणतावि महुररसपरिणयावि फासओ कक्खडफासपरिणयावि मउयफासपरिणयावि गुरुयफासपरिणयावि लहुयफासपरिणयावि सीयफासपरिणयावि उसिणफासपरिणयावि णिद्धफासपरिणयावि लुक्खफासपरिणयावि सण्ठाणओ परिमण्डलसण्ठाणपरिणयावि बट्टस-श ण्ठाणपरिणयावि तंससण्ठाणपरिणयावि चउरंससण्ठाणपरिणतावि आयतसण्ठाणपरिणतावि २०, जे वण्णओ सुकिल्लवण्णपरिणता । ते गन्धओ सुन्भिगन्धपरिणतावि दुम्भिगन्धपरिणतावि रसओ तितरसपरिणताचि कडुयरसपरिणतावि कसायरसपरिणतावि अम्बिलरसपरिणतावि महुररसपरिणताबि फासओ कक्खडफासपरिणतानि मउयफासपरिणतावि गुरुयफासपरिणतावि लहुय-1 फासपरिणतावि सीयफासपरिणतावि उसिणफासपरिणतावि णिद्धफासपरिणतावि लुक्खफासपरिणतावि सण्ठाणओ परिमण्डल-1 ॥१३॥ सण्ठाणपरिणयावि वहसण्ठाणपरिणयावि तंससण्ठाणपरिणयावि चउरंससष्ठाणपरिणयावि आययसण्ठाणपरिणयावि २०,१००11 जे गन्धओ सुब्भिगन्धपरिणया ते वणओ कालवण्णपरिणयावि णीलवण्णपरिणयावि लोहियवण्यापरिणयावि हालिद्दवण्णपरिण-18 यावि सुकिल्लवण्णपरिणयावि रसओ तिचरसपरिणयावि कडयरसपरिणतावि कसायरसपरिणताबि अम्बिलरसपरिणतावि महुररस
अनुक्रम
[१३]
SAREnaturthatana
~38~