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________________ आगम (१५) [भाग-१८] “प्रज्ञापना" - पदं [३], --------------- उद्देशक: -1, -------------- दारं [२६], -------------- मूलं [९०] पूज्य आगमोद्धारकरी संशोधित: मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित..आगमसूत्र-[१५]उपांगसूत्र-[४] "प्रज्ञापना" मूलं एवं मलयगिरि-प्रणीता वृत्ति: प्रत सूत्राक [९० रकटaeesesed दीप धिकत्वात् , ततः परं साकारोपयुक्तपदमपि सोयगुणं त्रिगुणत्वात् , शेषाणि तु नोइन्द्रियोपयुक्तादीनि प्रतिलोमं विशेषाधिकानि, द्विगुणत्वस्यापि कचिदभावात् ॥ तदेवं गतं बन्धद्वारम् , इदानीं पुद्गलद्वारमाहखित्ताणुवाएणं सबथोवा पुग्गला तेलोके उद्दलोयतिरियलोए अर्णतगुणा अहोलोयतिरियलोए विसेसाहिया तिरियलोए असंखिजगुणा उडलोए असंखिजगुणा अहोलोए विसेसाहिया । दिसाणुवाएणं सबथोवा पुग्गला उडदिसाए अहोलोए विसेसाहिया उत्तरपुरच्छिमेणं दाहिणपञ्चस्थिमेण य दोवि तुल्ला असंखिजगुणा दाहिणपुरच्छिमेण उत्तरपञ्चत्थिमेण य दोवि विसेसाहिया पुरच्छिमेणं असंखिजगुणा पञ्चस्थिमेणं विसेसाहिया दाहिणेणं विसेसाहिया उत्तरेणं विसेसाहिया ।। खित्ताणुवाएणं सबथोवाई दवाई तेलोके उडलोयतिरियलोए अणंतगुणाई अहोलोयतिरियलोए विसेसाहियाई उहलोए असंखिजगुणाई अहोलोए अर्णतगुणाई तिरियलोए संखिजगुणाई ॥ दिसाणुवाएणं सबथोवाई दबाई अहोदिसाए उहृदिसाए अर्णतगुणाई उत्तरपुरच्छिमेणं दाहिणपञ्चत्थिमेण य दोवि तुल्लाई असंखिजगुणाई दाहिणपुरच्छिमेणं उत्तरपचत्थिमेण य दोषि तुलाई विसेसाहियाई पुरच्छिमेणं असंखिजगुणाई पञ्चस्थिमेणं विसेसाहियाई दाहिणेणं विसेसाहियाई उत्तरेणं विसेसाहियाई (मू०९१) इदमल्पबहुत्वं पुद्गलानां द्रव्यार्थत्वमङ्गीकृत्य व्याख्येयं, तथासम्प्रदायात्, तत्र क्षेत्रानुपातेन' क्षेत्रानुसारेण चिन्त्यमानाः पुगलाबैलोक्ये-त्रैलोक्यसंस्पर्शिनः सर्वतोकाः, सर्वस्तोकानि त्रैलोक्यव्यापीनि पुगलद्रव्याणीति sekeseseaemocretreeroeseaeratioerce अनुक्रम [२९४] तृतीय-पदे (२७) "पुद्गल, दिशा-आदि" द्वारम् आरब्ध: ~327~
SR No.035018
Book TitleSavruttik Aagam Sootraani 1 Part 18 Pragyapana Mool evam Vrutti Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherVardhaman Jain Agam Mandir Samstha Palitana
Publication Year2017
Total Pages426
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_pragyapana
File Size93 MB
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