________________
आगम
(१५)
[भाग-१८] “प्रज्ञापना” – उपांगसूत्र-४ (मूलं+वृत्ति:)
पदं [३], --------------- उद्देशक: [-], -------------- दारं [२५], -------------- मूलं [८९] पूज्य आगमोद्धारकरी संशोधित: मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित..आगमसूत्र-[१५]उपांगसूत्र-[४] "प्रज्ञापना" मूलं एवं मलयगिरि-प्रणीता वृत्ति:
es
३ अल्प
प्रज्ञापना
या। मलयवृत्ती.
बहुत्वपदे
सूत्राक
[८९]
॥१५५॥
क्षेत्रानुपा. वसकायिकावन्धMकाधल्प.
सू. ८९
दीप
लोए संखिजगुणा अहोलोए संखिजगुणा तिरियलोए असंखिजगुणा | खित्ताणुवाएणं सबत्थोवा तसकाइया अपजत्तया तेलोके उद्दलोयतिरियलोए असंखिज्जगुणा अहोलोय तिरियलोए संखिज्जगुणा उहुलोए संखिजगुणा अहोलोए संखिज्जगुणा तिरियलोए असंखिजगुणा । खिचाणुवाएम सबथोवा तसकाइया पजत्चया तेलोके उडलोयतिरियलोए असंखिजगुणा अहोलोयतिरियलोए संखिजगुणा उड्डलोए संखिज्जगुणा अहोलोए संखिजगुणा तिरियलोए असंखिजगुणा ।। (मू०८९) इमानि पञ्चेन्द्रियसूत्रबद् भावनीयानि । गतं क्षेत्रद्वारम् , इदानी बन्धद्वारं वक्तव्यं-बन्धोपलक्षितं द्वारं, तदाहएएसिणं भंते ! जीवाणं आउयस्स कम्मस्स बंधगाणं अबंधगाणं पञ्जनाणं अपञ्जत्ताणं सुत्ताण जागराणं समोहयाणं असमोहयाणं सायावेयगाणं असायावेयगाणं इंदिओवउत्ताणं नोइंदिओवउत्ताणं सागारोवउत्ताणं अणागारोवउत्ताण य कयरे कयरेहितो अप्या वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा?, गोयमा! सबथोवा जीवा आउयस्स कम्मस्स बंधगा १ अपञ्जतया संखेजगुणा २ सुत्ता संखेनगुणा ३ समोहया संखेजगुणा ४ सायावेयगा संखेजगुणा ५ इंदिओवउत्ता संखेजगुणा ६ अणागारोक्उत्ता संखेजगुणा ७ सागारोवउत्ता संखेजगुणा ८ नोइंदिओवउत्ता विसेसाहिया ९ असायावेयगा विसेसाहिया १० असमोहया विसेसाहिया ११ जागरा विसेसाहिया १२ पञ्जत्तया विसेसाहिया १३ आउयस्स कम्मस्स अबधया विसेसाहिया १४ (मू०९०)
अनुक्रम [२९३]
॥१५॥
तृतीय-पदे (२६) "बन्ध" द्वारम् आरब्ध:
~322~