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आगम
(१५)
[भाग-१८] “प्रज्ञापना” – उपांगसूत्र-४ (मूलं+वृत्ति:)
पदं [३], --------------- उद्देशक: [-], -------------- दारं [२५], -------------- मूलं [८८] पूज्य आगमोद्धारकरी संशोधित: मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित..आगमसूत्र-[१५]उपांगसूत्र-[४] "प्रज्ञापना" मूलं एवं मलयगिरि-प्रणीता वृत्ति:
पत
प्रज्ञापनाया: मलयवृत्ती.
सूत्राक
[८७]]
॥१५॥
दीप
खिताणुवाएणं सवत्थोवा पुढविकाइया उड्डलोयतिरियलोए अहोलोयतिरियलोए विसेसाहिया तिरियलोए असंखिज्ज
३ अल्पगुणा तेलोके असंखिजगुणा उडलोए असंखिजगुणा अहोलोए विसेसाहिया । खित्ताणुवाएणं सवत्थोवा पुढविकाइया | बहुत्वपदे अपजत्तया उडलोयतिरियलोए अहोलोयतिरियलोए बिसेसाहिया तिरियलोए असंखिजगुणा तेलोके असंखिजगुणा |क्षेत्रानुपा. उड्डलोए असंखिज्जगुणा अहोलोए विसेसाहिया। खित्ताणुवाएणं सव्वत्थोवा पुढविकाइया पजत्तया उड्डलोयतिरियलोए पृथ्व्यादीअहोलोयतिरियलोए विसेसाहिया तिरियलोए असंखिजगुणा तेलुके असंखिजगुणा उडलोए असंखिजगुणा अहोलोए नामल्प. विसेसाहिया ॥ खित्ताशुवाएणं सबथोवा आउकाइया उड्डलोयतिरियलोए अहोलोयतिरियलोए विसेसाहिया तिरियलोए सूत्र.८८ असंखिजगुणा तेलुके असंखिजगुणा उडलोए असंखिज्जगुणा अहोलोए विसेसाहिया । खिचाणुवाएणं सबत्योवा आउकाइया अपजत्तया उडलोयतिरियलोए अहोलोयतिरियलोए विसेसाहिया तिरियलोए असंखिजगुणा तेलोके असंखिजगुणा उडलोए असंखिजगुणा अहोलोए विसेसाहिया । खित्नाणुवाएणं सबत्थोवा आउकाइया पज्जत्तया उडलोयतिरियलोए अहोलोयतिरियलोए विसेसाहिया तिरियलोए असंखिजगुणा तेलोके असंखिजगुणा उडलोए असंखिजगुणा अहोलोए विसेसाहिया || खिचाणुवाएणं सबथोवा तेउकाइया उडलोयतिरियलोए अहोलोयति रियलोए विसेसाहिया तिरियलोए असंखिजगुणा तेलोके असंखिजगुणा उडलोए असंखिजगुणा अहोलोए विसेसादिया । खिचाणुवाएक सब- RImum त्योवा तेउकाइया अपजत्नया उडलोयतिरियलोए अहोलोयतिरियलोए विसेसाहिया तिरियलोए असंखिजगुणा तेलोके असंखिजगुणा उड्डलोए असंखिजगुणा अहोलोए विसेसाहिया । खिचाणुवाएणं सबत्थोवा तेउकाइया पज्जत्तया उडलो
अनुक्रम [२९१]
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