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आगम
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[भाग-१८] “प्रज्ञापना” – उपांगसूत्र-४ (मूलं+वृत्ति:)
पदं [३], --------------- उद्देशक: -,--------------दारं [४], -------------- मूलं [६२] पूज्य आगमोद्धारकरी संशोधित: मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित..आगमसूत्र-[१५]उपांगसूत्र-[४] "प्रज्ञापना" मूलं एवं मलयगिरि-प्रणीता वृत्ति:
प्रज्ञापनायाः मलय० वृत्ती.
प्रत
| ३ अल्पबहुत्वपदे सूक्ष्मवादराणामल्पसू.६२
॥१३॥
सूत्रांक [६२]
याण य पञ्जत्तापञ्जत्ताणं कयरे कयरहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया चा?, गोयमा ! सवत्थोवा बायरनिगोयया पजत्तया बायरनिगोयया अपञ्जत्तया असंखेजगुणा सुहुमनिगोयया अपजत्तया असंखेजगुणा सुहुमनिगोयया पञ्जत्तया संखेजगुणा ॥ एएसि ण भंते ! सुहुमाणं सुहुमपुढवीकाइयाणं सुहुमआउकाइयाणं सुहुमतेउकाइयाणं सुहुमवाउकाइयाणं सुहुमवणस्सइकाइयाणं मुहुमनिगोयाणं बायराणं वायरपुढविकाइयाणं बायरआउकाइयाणं वायरतेउकाइयाणं बायरवाउकाइयाणं बायरवणस्सइकाइयाणं पत्तेयसरीरयायरवणस्सइकाइयाणं बायरनिगोयाणं बायरतसकाइयाण य पजत्तापजचाणं कयरे कयरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा, गोयमा ! सम्वत्थोवा बादरतेउकाइया पजत्तया बायरतसकाइया पजत्तया असंखेज्जगुणा बायरतसकाइया अपजत्तया असंखेजगुणा पत्नेयसरीरबायरवणस्सइकाइया पजचया असंखेजगुणा बायरनिगोया पजचया असंखेजगुणा बायरपुढवीकाइया पजत्तया असंखेजगुणा वायरआउकाइया पजत्नया असंखेजगुणा बायरवाउकाइया पञ्जत्तया असंखेजगुणा वायरतेउकाइया अपजचया असंखेजगुणा पत्तैयसरीरवायरवणस्सइकाइया अपजत्तया असंखेजगुणा वायरनिगोया अपज्जत्तया असंखेजगुणा वायरपुढषीकाइया अपनत्तया असंखेजगुणा बायरआउकाइया अपजत्तया असंखेजगुणा बायरचाउकाइया अपजत्तया असंखेनगुणा सुहुमतेउकाइया अपञ्जत्तया असंखेजगुणा सुहुमपुढवीकाइया अपञ्जत्तया विसेसाहिया सुहुमआउकाइया अपज्जचया विसेसाहिया सुहुमवाउकाइया अपजत्तया विसेसाहिया सुहुमतेउकाइया पञ्जचया असंखेजगुणा सुहुमपुढवीकाइया पञ्जत्नया विसेसाहिया सुहुमआउकाइया पञ्जत्तया विसेसाहिया सुहुमवाउकाइया पजत्तया विसेसाहिया सुहुमनिगोया अपजत्तया असंखेजगुणा सुहुमनिगोया पन्जत्तया संखेजगुणा
यसकार
दीप अनुक्रम २६६]
रायrareneetest
॥१३॥
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