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________________ आगम (१५) [भाग-१८] “प्रज्ञापना” – उपांगसूत्र-४ (मूलं+वृत्ति:) पदं [३], --------------- उद्देशक: -,--------------दारं [४], -------------- मूलं [६१] पूज्य आगमोद्धारकरी संशोधित: मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित..आगमसूत्र-[१५]उपांगसूत्र-[४] "प्रज्ञापना" मूलं एवं मलयगिरि-प्रणीता वृत्ति: प्रत प्रज्ञापनायाः मलयवृत्ती. ३ अल्पबहुत्वपदे बादराल्पबसू.६१ सूत्रांक [१] ॥१२६॥ - चगाणं बादरवाउअपजत्तगाणं चादरवणस्सइअपज्जतगाणं पचेयसरीरबादरवणस्सइअपज्जचगाणं बादरनिगोदअपज्जचगाणं बादरतसकाइयअपज्जत्तगाण य कयरे कयरहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा, गोयमा ! सबस्थोवा वादरतसकाइया अपजचगा बादरतेउकाइया अपजत्तगा असंखेजगुणा पत्यसरीरवादरवणस्सइकाइया अपजत्तमा असंखेजगुणा बादरनिगोदा अपअत्तगा असंखेजगुणा वायरपुढ़वीकाइया अपजत्तगा असंखेनगुणा बादरआउकाइया अपजत्तगा असंखेजगुणा बादरवाउकाइया अपज्जतगा असंखेजगुणा बादरवणस्सइकाइया अपजत्तगा अणंतगुणा बादरअपजत्तगा विसेसाहिया । एएसिणं भंते ! बायरपज्जत्तयाणं बादरपुढवीकाइयाणं पजत्तयाणं यायरआउकाइयाणं पन्जतयाणं वायरतेउकाइयाणं पञ्जत्चयाणं वायरवाउकाइयाणं पजत्तयाण पत्तेयसरीवायरवणस्सइकाइयाणं पञ्जत्तयाणं वायरनिगोदपजत्तयाण बायरतसकाइयपज्जतगाण य कयरे कयरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा, गोयमा! सबथोवा वायरतेउकाइया पज्जत्तया बायरतसकाइया पज्जत्तया असंखेजगुणा पत्तेयसरीरवायरवणस्सइकाइया पजत्तया असंखेजगुणा वायरनिगोदा पज्जत्तया असंखेजगुणा बादरपुढवीकाइया पज्जत्तया असंखेजगुणा बायरआउकाइया पज्जचया असंखेजगुणा वायरवाउकाइया पज्जत्तया असंखेजगुणा वायरवणस्सइकाइया पज्जतया अर्णतगुणा बायरपज्जचया विसेसाहिया । एएसिणं भंते ! वायराणं पजत्तापज्जताणं कयरे कयरेहिंतो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा', गोयमा! सवत्थोवा बायरपज्जचया बायरअपज्जचया असंखेजगुणा । एएसिणं भंते ! वायरपुढवीकाइयाणं पात्तापञ्जचाणं कयरे कयरोहितो अप्पा वा बहुया वा तुला वा विसेसाहिया वा',गोयमा! सबथोवा वायरपुढवीकाइया पजत्तया बायर एटाeeeeeee 9302030280992929aorts दीप अनुक्रम [२६५] ॥१२६॥ ~264~
SR No.035018
Book TitleSavruttik Aagam Sootraani 1 Part 18 Pragyapana Mool evam Vrutti Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherVardhaman Jain Agam Mandir Samstha Palitana
Publication Year2017
Total Pages426
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_pragyapana
File Size93 MB
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