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________________ आगम (१५) [भाग-१८] “प्रज्ञापना” – उपांगसूत्र-४ (मूलं+वृत्ति:) पदं [३], --------------- उद्देशक: -,--------------दारं [४], -------------- मूलं [५९] पूज्य आगमोद्धारकरी संशोधित: मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित..आगमसूत्र-[१५]उपांगसूत्र-[४] "प्रज्ञापना" मूलं एवं मलयगिरि-प्रणीता वृत्ति: मज्ञापनायाः मलयवृत्ती. प्रत सूत्रांक [५९] एeeeeeee. ३ अल्पबहुत्वपदे कायाल्प० सू.५९ ॥१२२॥ एएसि मंते ! सकाइयाणं पुढविकाइयाणं आउकाइयाणं तेउकाइयाणं बाउकाइयाणं वणस्सइकाइयाणं तसकाइयाणं अकाइयाणं कयरे कयरेहितो अप्पा वा बहुया चा तुल्ला वा विसेसाहिआ वा, गोयमा । सात्योवा तसकाइया तेउकाइया असंखेजगुणा पुढविकाइया विसेसाहिया आउकाइया विसेसाहिया वाउकाइया विसेसाहिया अकाइया अणंतगुणा वणस्सइकाइया अणंतगुणा सकाइया विसेसाहिया ॥ एएसिणं मंते! सकाइयाणं पुढचिकाइयाणं आउकाइयाणं तेउकाइयाणं बाउकाइयाणं वणस्सइकाइयाणं तसकाइयाणं अपजतगाणं कयरे कयरहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा, गोषमा ! सवत्थोवा तसकाइया अपजचगा तेउकाइया अपजत्तगा असंखेजगुणा पुढविकाइया अपज्जत्तगा विसेसाहिया आउकाइया अपज्जत्तगा विसेसाहिया वाउकाइया अपज्जत्तगा बिसेसाहिया वणस्सइकाइया अपज्जत्तगा अणंतगुणा सकाइया अपअत्तगा बिसेसाहिया ॥ एएसिणं भंते ! सकाइयाणं पुढविकाइयाण आउकाइयाण तेउकाइयाणं वाउकाइयाणं वणस्सइकाइयाणं तसकाइयाणं पज्जत्तगाणं कयरे कयरहितो अप्पा वा पहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा, गोयमा ! सवत्थोवा तसकाइया पज्जचगा तेउकाइया पञ्जत्तगा असंखेजगुणा पुढविकाइया पज्जत्तगा विसेसाहिया आउकाइया पजत्तगा विसेसाहिया वाउकाइया पज्जतगा विसेसाहिया वणस्सइकाइया पज्जतमा अणंतगुणा सकाइया पजतगा विसेसाहिया ।। एएसिणं भंते ! सकाइयाण पज्जचापजत्तगाणं कयरे कयरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुला वा विसेसाहिया पा, गोयमा ! सबथोवा सकाइया अपज्जत्तगा सकाइया पञ्जत्तगा संखेजगुणा ।। एएसिणं भंते ! पुढविकाइयाणं पजत्तापजत्तगाणं कयरे कयरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा, गोयमा! सबथोचा पुढ विका दीप अनुक्रम [२६३] keeeeeee 38923207 M॥१२शा तृतीय-पदे (०४) "काय द्वारम् आरब्ध: ~256~
SR No.035018
Book TitleSavruttik Aagam Sootraani 1 Part 18 Pragyapana Mool evam Vrutti Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherVardhaman Jain Agam Mandir Samstha Palitana
Publication Year2017
Total Pages426
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_pragyapana
File Size93 MB
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