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________________ आगम (१५) [भाग-१८] “प्रज्ञापना” – उपांगसूत्र-४ (मूलं+वृत्ति:) पदं [३], --------------- उद्देशक: -,-------------- दारं [३], -------------- मूलं [५८] पूज्य आगमोद्धारकरी संशोधित: मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित..आगमसूत्र-[१५]उपांगसूत्र-[४] "प्रज्ञापना" मूलं एवं मलयगिरि-प्रणीता वृत्ति: प्रज्ञापनायाः मलयवृत्ती. ३ अल्पबहुत्वपदे एकेन्द्रियाद्यल्प प्रत सूत्रांक [५८] ॥१२॥ दीप अनुक्रम [૨૬] 908820sae एएसि णं भंते ! सईदियाणं एगिदियाणं बेइंदियाणं तेइंदियाणं चउरिदियाणं पंचिंदियाणं आणि दियाणं कपरे कयरेहिंतो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला चा विसेसाहिया वा, गोयमा ! सबथोवा पंचिदिया चउरिदिया बिसेसाहिया तेईदिया विसेसाहिया बेइंदिया विसेसाहिया अणिदिया अणंतगुणा एगिदिया अर्णतगुणा सइंदिया विसेसाहिया ॥ एएसिणं भंते ! सईदियाणं एगिदियाणं बेइंदियाणं तेइंदियाण चउरिदियाणं पंचिंदियाणं अपज्जत्तगाणं कतरे कतरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया चा, गोयमा ! सबथोवा पंचिंदिया अपजत्तगा चउरिदिया अपजत्तगा बिसेसाहिया तेइंदिया अपजत्तमा विसेसाहिया बेईदिया अपज्जत्तगा विसेसाहिया एगिदिया अपजत्तगा अणंतगुणा सइंदिया अपजतगा विसेसाहिया ।। एएसिणं भंते ! सईदियाणं एगिदियाणं वेईदियाणं तेइंदियाणं चउरिदियाण पंचिंदियाणं पजत्ताणं कतरे कतरेहिंतो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा?, गोयमा ! सबत्थोवा चउरिंदिया पज्जत्तगा पंचिंदिया पज्जत्तगा विसेसाहिया बेइंदिया पज्जत्तया विसेसाहिया तेइंदिया पज्जत्तगा विसेसाहिया एगिदिया पज्जत्तगा अनंतगुणा सइंदिया पज्जत्तगा विसेसाहिया ।। एएसिणं भंते ! सइंदियाणं पज्जनापज्जताणं कयरे कयरेहिंतो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा, गोयमा! सवत्थोवा सइंदिया अपज्जत्तगा सइंदिया पज्जचगा संखेज्जगुणा ।। एएसिणं भंते ! एगिदियाणं पज्जत्तापज्जचाणं कयरे कयरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिआ वा, गोयमा । सव्वत्थोवा एगिदिया अपज्जत्तगा एगिदिया पज्जत्तगा संखेजगुणा || एएसिणं भंते ! इंदियाणं पज्जत्तापजचाणं क्यरे कयरहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिआ वा, गोयमा! सबथोवा बेइंदिया पज्जचगा बेइंदिया अपज्ज ॥१२०॥ SARERatininemarana तृतीय-पदे (०३) इन्द्रिय द्वारम् आरब्ध: ~252~
SR No.035018
Book TitleSavruttik Aagam Sootraani 1 Part 18 Pragyapana Mool evam Vrutti Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherVardhaman Jain Agam Mandir Samstha Palitana
Publication Year2017
Total Pages426
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_pragyapana
File Size93 MB
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