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________________ आगम (१५) [भाग-१८] “प्रज्ञापना" - पदं [१], ---------------उद्देशक: [-], --------------- दारं -,--------------- मूलं [...३७] पूज्य आगमोद्धारकरी संशोधित: मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित..आगमसूत्र-[१५]उपांगसूत्र-[४] "प्रज्ञापना" मूलं एवं मलयगिरि-प्रणीता वृत्ति: प्रत सूत्राक [३७]] दीप अनुक्रम [१६६] प्रज्ञापना- तत्राल्पवक्तव्यत्वात् प्रथमतो म्लेच्छवक्तव्यतामाह-से कि तं' इत्यादि, अथ के ते म्लेच्छाः ?, 'मिलिक्खू' इति प्रज्ञापयाः मल-18निर्देशः प्राकृतत्वाद् आपत्वाच, सूरिराह-म्लेच्छा अनेकविधाः प्रज्ञप्ताः, तचानेकविधत्वं शक-यवन-चिलात नापदे म५०वृत्ती. शबर-बर्बरादिदेशभेदात् , तथा चाह-'तंजहा सगा' इत्यादि, शकदेशनिवासिनः शकाः, यवनदेशनिवासिनो यव-181 नुष्यप्रज्ञा. (सू.३७) नाः, एवं सर्वत्र, नवरममी नानादेशा लोकतो विज्ञेयाः ॥ आर्यप्रतिपादनार्थमाहसे कि त आयरिया, आ[य]रिया दुविहा पं०, तं०-इहिपत्ता योरिया य अणिहिपत्ता[य]रिया य, से कि त इहिपत्ता[य]रिया ?, इहिपचा[य]रिया छबिहा पं०, तं०-अरहता चकवट्टी बलदेवा वासुदेवा चारणा विजाहरा, सेनं इहिपत्ता[य]रिया । से कितं अणिहिपत्ता [य]रिया, अणिढिपत्ता[य रिया नवविहा प०, तं०-खेता[य]रियो जातिआ[य]रियों कुलारिओं कम्मारियों सिप्पारिओं भासारियाँ नाणारियाँ दसणारियाँ चारित्तारियो । से किं तं खेत्तारिया, खेत्तारिया अद्धछबीसतिविहाणा पं०, ०-रायगिह मगह चंपा अंगा तह तामलित्ति वंगा य । कंचणपुरं कलिंगा वाणारसी चेव कासी य॥१०८॥ साएय कोसला गयपुरं च कुरु सोरियं कृसट्टा य । कपिल्लं पंचाला अहिछेचा जंगला चेव।।१०९।। बारवई सोरडा मिहिले विदेहा य बच्छ कोसंबी। नंदिपुरं संडिल्ला महिलपुरमेव मलया य॥११॥ वैराड वच्छ वरणा अँच्छा तह मनियावह दसण्णा । सोतियेबई य चेदी वीर्यमयं सिंधुसोचीरा ॥११।। महुरा य मूरसेणा पौवा भंगी य मौस पुरिवहा । सावत्थी य कुणाला कोडीवरिसंच लाटा य ॥११२॥ सेयबियाविय णयरी केकयअद्धं च आरियं भणियं । इत्थुप्पत्ती ~122~
SR No.035018
Book TitleSavruttik Aagam Sootraani 1 Part 18 Pragyapana Mool evam Vrutti Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherVardhaman Jain Agam Mandir Samstha Palitana
Publication Year2017
Total Pages426
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_pragyapana
File Size93 MB
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