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________________ आगम (१४) [भाग-१६] “जीवाजीवाभिगम" - प्रतिपत्ति : [१], ------------------------- उद्देशक: [-1, ---------------------- मूलं [३६] पूज्य आगमोद्धारकरी संशोधित: मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित..आगमसूत्र- [१४], उपांगसूत्र- [२] "जीवाजीवाभिगम" मूलं एवं मलयगिरि-प्रणीता वृत्ति: प्रतिपत्तौ प्रत श्रीजीवाजीवाभि० मलयगिरीयावृत्तिः | पञ्चेन्द्रिय सूत्रांक तिर्यश्चः [३६] सू० ३६ लिणो?, २ अणेगविहा पण्णत्ता, तंजहा-दिव्वा गोणसा जाव से तं मउलिणो, सेत्तं अही । से किं तं अयगरा?, २ एगागारा पण्णत्ता, से तं अयगरा । से कितं आसालिया?, २ जहा पण्णवणाए, से तं आसालिया । से किं तं महोरगा?, २ जहा पण्णवणाए, से तं महोरगा । जे यावणे तहप्पगारा ते समासतो दुविहा पण्णता, तंजहा-पज्जत्ता य अपजत्ता य तं चेव, णवरि सरीरोगाहणा जहन्नेणं अंगुलस्सऽसंखेज. कोसेणं जोयणपुहुतं, ठिई जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उफोसेणं तेवपणं वाससहस्साई, सेसं जहा जलयराणं, जाव चउगतिया दुआगतिया परिसा असंखेज्जा, सेतं उरगपरिसप्पा॥से किं तं भुयगपरिसप्पसमुच्छिमथलयरा ?,२ अणेगविधा पपणत्ता, तंजहा-गोहा णउला जाव जे यावन्ने तहप्पकारा ते समासतो दुविहा पपणत्ता, तंजहा-पजत्ता य अपजत्ता य, सरीरोगाहणा जहन्नेणं अंगुलाखेज़ उक्कोसेणं घणुपुहत्तं, ठिती उकोसेणं वायालीसं वाससहस्साई सेसं जहा जलयराणं जाव चउगतिया दुआगतिया परिसा असंखेजा पपणत्ता, से तं भुयपरिसप्पसमुच्छिमा, से तं थलयरा ।। से किं तं खहयरा ?, २ चउविहा पण्णत्ता, तंजहा-चम्मपक्खी लोमपक्खी समुग्गपक्खी विततपक्खी । से किं तं चम्मपक्खी ?, २ अणेगविधा पपणत्ता, तंजहा वग्गुली जाव जे यावन्ने तहप्पगारा, से तं चम्मपक्खी। से कितं लोमपक्खी ?, २ अणेगविहा पपणत्ता, तंजहा-लंका कंका जे यावन्ने तहप्पकारा, से अनुक्रम [४४] ॥३७॥ ~84 ~
SR No.035016
Book TitleSavruttik Aagam Sootraani 1 Part 16 Jivajivabhigam Mool evam Vrutti Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherVardhaman Jain Agam Mandir Samstha Palitana
Publication Year2017
Total Pages480
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_jivajivabhigam
File Size116 MB
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