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________________ आगम (१४) [भाग-१६] “जीवाजीवाभिगम" - प्रतिपत्ति : [३], -----------------------उद्देशक: [(द्वीप-समुद्र)], -------------------- मूलं [१३७] पूज्य आगमोद्धारकरी संशोधित: मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित..आगमसूत्र- [१४], उपांगसूत्र- [३] “जीवाजीवाभिगम" मूलं एवं मलयगिरि-प्रणीता वृत्ति: - प्रत सूत्रांक ---- [१३७] SANKRASACRICA दीप पणकुटभीसहस्सपरिमंडियाभिरामा बाउडुयविजयवेजयंतीपडागा छत्तातिछत्तकलिया तुंगा गगणतलमभिलंघमाणसिहरा पासादीया जाय पडिरूवा ॥ तेसि णं महिंदज्झयाणं उपि अट्टहमंगलगा झया छत्तातिछत्ता ॥ तेसि णं महिं दज्झयाणं पुरतो तिदिसि नओ गंदाओ पुक्यरिणीओ पं० ताओ णं पुक्खरिणीओ अद्धतेरसजोयणाई आयामेणं सकोसाइंछ जोयणाई विखंभेणं दसजोयणाई उब्बेहेणं अच्छाओ सण्हाओ पुक्खरिणीवण्णओ पत्तेयं पत्तेयं पउमवरवेड्यापरिक्वित्ताओ पत्तेयं पत्तेयं वणसंरपरिक्खित्ताओ वण्णओ जाव पडिरुवाओ॥ तेसिणं पुक्खरिणीणं पत्तय तिदिसि तिसोवाणपडिरूवगा पं०. तेसिणं तिसोवाणपडिरूवगाणं वण्ण ओ, तोरणा भाणि यव्वा, जाव छत्तातिच्छत्ता सभाए णं सुहम्माए छ मणोगुलिसाहस्सीओ प. पणताओ, तंजहा-पुरस्थिमे णं दो साहस्सीओ पचत्थिमेणं दो साहस्सीओ दाहिणणं एगसाहस्सी उत्तरेणं एगा साहस्सी, तासु णं मणोगुलियासु बहवे सुचण्णरुप्पामया फलगा पण्णत्ता, तेसु णं सुवष्णरुप्पामएसु फलगेसु बहवे वइरामया णागदंतगा पण्णसा, तेसु णं वहरामएसु नागदंतरसु बहवे किण्हसुत्तवट्टयग्घारितमल्लदामकलावा जाव सुकिलवद्वग्धारितमल्लदामकलावा, ते णं दामा तवणिजलंबूसगा जाव चिट्ठति ॥ सभाए णं मुहम्माए छगोमाणसीसाहस्सीओ पपणत्ताओ तंजहा-पुरत्थिमेणं दो साहस्सीओ, एवं पञ्चस्थिमेणवि दाहिणणं सहस्सं एवं - k अनुक्रम [१७५] ~461~
SR No.035016
Book TitleSavruttik Aagam Sootraani 1 Part 16 Jivajivabhigam Mool evam Vrutti Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherVardhaman Jain Agam Mandir Samstha Palitana
Publication Year2017
Total Pages480
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_jivajivabhigam
File Size116 MB
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