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________________ आगम (१४) [भाग-१६] “जीवाजीवाभिगम" - प्रतिपत्ति : [३], ----------------------- उद्देशक: [(द्वीप-समुद्र)], -------------------- मूलं [१२७] पूज्य आगमोद्धारकरी संशोधित: मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित..आगमसूत्र- [१४], उपांगसूत्र- [३] “जीवाजीवाभिगम" मूलं एवं मलयगिरि-प्रणीता वृत्ति: - प्रत सूत्रांक [१२७] 2-%-- दीप अनुक्रम याणं वावीणं जाव बिलपंतियाणं तत्थर देसे २ तहिं २ जाव बहवे तिसोवाणपडिस्वगा पण्णत्ता। तेसि णं तिसोवाणपडिरूवाणं अयमेयारवे वपणाचासे पपणत्ते, तंजहा-बहरामया नेमा रिट्ठामया पतिद्वाणा वेरुलियामया खंभा सुवण्णरुप्पामया फलगा बहरामया संधी लोहितक्खमईओ सईओ गाणामणिमया अवलंबणा अवलंबणधाहाओ॥ तेसि णं तिसोवाणपडिरूवगाणं पुरतो पत्तेयं २ तोरणा पं० ॥ ते ण तोरणा णाणामणिमयखंभेसु उणिविट्ठसपिणविट्ठा विविहमुत्तरोवइता विविहतारारूवोवचिता ईहामियउसमतुरगणरमगरविहगवालगकिण्णररुरुसरभचमरकुंजरवणलयपवमलयभत्तिचित्ता खंभुग्गयवहरवेदियापरिगताभिरामा विजाहरजमलजुयलर्जतजुताबिव अचिसहस्समालणीचा भिसमाणा भिभिसमाणा चक्खल्लोयणलेसा सुहफासा सस्सिरीयरूवा पासातिया ४ ॥ तेसिणं तोरणाणं उपि बहवे अट्टमंगलगा पण्णत्ता-सोत्थियसिरियच्छदियावत्तवद्धमाणभद्दासणकलसमच्छदप्पणा सव्वरतणामया अच्छा सण्हा जाच पटिरूवा । तेसि णं तोरणाणं उपि बहवे किणहचामरज्झया नीलचामरजझया लोहियचामरज्झया हारिहचामरज्झया सुकिल्लयामरज्झया अच्छा साहा रुप्पपट्टा बहर दंडा जलयामलगंधीया सुरुवा पासाइया ४॥नेसिणं तोरणाणं उरिप बहवे छत्ताइछत्ता पडागाइपडागा घंटाजुयला चामरजुयला उप्पल हत्थया जाब सयसहस्सवत्तह्त्यगा सब्वरयणामया [१६५] TAX ~ 401~
SR No.035016
Book TitleSavruttik Aagam Sootraani 1 Part 16 Jivajivabhigam Mool evam Vrutti Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherVardhaman Jain Agam Mandir Samstha Palitana
Publication Year2017
Total Pages480
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_jivajivabhigam
File Size116 MB
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