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________________ आगम (१४) [भाग-१६] “जीवाजीवाभिगम" - प्रतिपत्ति : [३], ----------------------- उद्देशक: [(मनुष्य)], -------------------- मूलं [१११] मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित.........आगमसूत्र - [१४], उपांग सूत्र - [३] "जीवाजीवभिगम" मूलं एवं मलयगिरि-प्रणीत वृत्ति: प्रत सूत्रांक [१११] -- दीप अनुक्रम [१४५] घलपत्तलच्छा आणामियचावरुइलकिपहपूराइयसंठियसंगतआयतमुजाततणुकसिणनिद्वभुमया अल्लीणप्पमाणजुत्तसरणा सुस्सवणा पीणमंसलकवोलदेसभागा अचिकग्गयवालचंदसंठियपसत्थविच्छिन्नसमणिडाला दुवतिपडिपुषणसोमवदणा उत्तागारुत्तमंगदेसा घणणिचियसुबद्धलक्खगुण्णयकडागारणिभपिडियसिस्से दाडिमपुष्पगासतवणिजसरिसनिम्मलसुजायकेसंतकेसभूमी सामलियोंडघणणिचियछोनियमिउविसयपसत्यमुहमलक्वणसुगंधसुंदरभुयमोयगभिगिणीलकजलपहट्ठभमरगणणिणिकुबनिचियकुंचियचियपदाहिणावत्तमुद्धसिरया लक्षणवंजणगुणोववेया सुजायसुविभत्तसुरूवगा पासाइया दरिसणिज्जा अभिरूवा पडिरूवा, ते णं मणुया हंसस्सरा कोंचस्सरा नंदिघोसा सीहस्सरा सीहघोसा मंजुस्सरा मंजुघोसा सुस्सरा सुस्सरणिग्घोसा छाया जोतियंगमंगा बजरिसभनारायसंघयणा समचउरंससंठाणसंठिया सिणिछवी णिरायंका उत्तमपसस्थअइसेसनिरुवगतणू जल्लमलकलंकसेयरयदोसवजियसरीरा निरुवमलेवा अणुलोमवाउवेगा कंकग्गहणी कवोतपरिणामा सउणिच्च पोसपिट्टतरोरुपरिणता थिग्गहियउन्नयच्छी पउमुप्पलसरिसगंधणिस्साससुरभिववणा अधणुसयं ऊसिया, तेसिं मणुयाणं चउसहि पिडिकरंडगा पण्णत्ता समणाउसो! ते णं मणुया पगतिमद्दगा पगतिविणीतगा पगतिउवसंता पगतिपयणुकोहमाणमायालोभा मिउमहवसंपण्णा अल्लीणा भद्दगा विणीता अप्पिच्छा असंनिहिसं SRCASSSC -- - ~307~
SR No.035016
Book TitleSavruttik Aagam Sootraani 1 Part 16 Jivajivabhigam Mool evam Vrutti Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherVardhaman Jain Agam Mandir Samstha Palitana
Publication Year2017
Total Pages480
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_jivajivabhigam
File Size116 MB
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