________________
आगम
(१३)
प्रत
सूत्रांक [६७-७४]
दीप
अनुक्रम [६७-७४]
मूलं [ - ]
पूज्य आगमोद्धारकश्री संशोधितः मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित.. आगमसूत्र- [१३] उपांगसूत्र- [२] "राजप्रश्नीय" मूलं एवं मलयगिरि-प्रणीता वृत्तिः
--
Jan Euration
मूलं
4040400
40 40
रित ?, णो तिणमट्टे सम, कम्हा णं, भंते! तस्स पुरिसस्स अपजताई उवगरणाई हवंति, एवामेव पएसी ! सो चेव पुरिसे वाले जाय मंदविन्नाणे अपजत्तोवगरणे, णो पभू पंचकंडयं निसिस्तिए, तं सदहाहि णं तुमं पएसी । जहा अनो जीवो तं चेव ५ ॥ (सू० ६८ ॥ तए णं पएसी राया केसीकुमारसमणं एवं वयासी अस्थि णं भंते! एस पण्णाउवमा इमेण पुण कारणं नो वागच्छ, भंते! से जहा नामए केइ पुरिसे तरुणे जाव सिप्पोवगते पभू एवं महं अयभार वा तयभारगं वा सीसगभारगं वा परिवहित्तए?, हंता पभू, सो चेव णं भंते! पुरिसे जुने जराजजरियदेहे सिढिलवलितयाविणट्ठगते दंडपरिग्गहियग्गहत्थे पविरलपरिसडियदंतसेडी आउरे किस पिवासिए दुबले किलंते नो पभू एवं महं अयभार वा जाव परिवहित्तए, जति णं भंते! सच्चे पुरिसे जुने जराजजरियदेहे जाव परिकिलले पभू एवं महं अयभारं वा जाव परिहिए तो णं सहजा ३ तहेव, जभ्हा णं भंते! से चेत्र पुरिसे जुन्ने जाव किलते नोपन ए महं अयभारं वा जाव परिवहित्तए तम्हा सुपतिट्टिता मे पणा तब तए णं केसीकुमारसम एसि राय एवं वयासी से जहाणामए केइ पुरिसे तरुणे जाब सिप्पोवगए णवियाए विहंगियाए यहि सिकहिं णव एहिं पच्छयपिंड एहिं पट्ट एवं महं अयभारं जाव परिवहित्तए ? हंता पभू, पएसी से चैव णं पुरिसे तरुणे जाव सिप्पोबगए जुनियाए दुब्बलियाए पुणक्खइयाए बिहंगियाए
For Praise Only
केसिकुमार श्रमणं सार्धं प्रदेशी राज्ञस्य धर्म-चर्चा
~280~
众养 O 磊 萃 票 $