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आगम
(१३)
[भाग-१५] “राजप्रश्नीय” – उपांग सूत्र-२ (मूलं+वृत्ति:)
----------------------------- मल [४३-४४] पूज्य आगमोद्धारकरी संशोधित: मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित..आगमसूत्र- [१३] उपांगसूत्र- [२] "राजप्रश्नीय" मूलं एवं मलयगिरि-प्रणीता वृत्ति:
संपत्ताणं, बदइ नमसइ २त्ताजेणेव देवच्छंदए जेणेव सिहायतणस्स बहुमज्झदेसभाए तेणेव उवागच्छइ २त्ता लोमहत्थग परामुसइ २ सिहायतणस्स बहुमझदेसभाग लोमहत्थेग पम जति, दिवाए दगधाराए अभुक्खेइ, सरसेणं गोसीसचंदणेणं पंचंगुलितलं मंडलगं आलिहइ २ कयग्गाहगहिये जावपुंजोवयारकलियं करेइ करेत्ता धूवं दल यइ,जेणेव सिहायतणस्स दाहिणिल्ले दारे तेदेव उवागच्छतिरलोमहत्थर्ग परामुसहरता दारचेडीओय सालभंजियाओय चालरूवए यलोमहत्थर ग पम जहर त्ता दिवाए दगधाराए अन्भुक्खेइ २ सरसेगं गोसीसचंदणं चचए दलयह दलहत्ता पुष्फामहणं म. हा जाव आभरणारहण करेइ करेत्ता आसत्तोसत्त जाव घूवं दलयहरता जेणेव दाहिणिल्ले दारे मुहमंत्वे जेधोष दाहिणिल्लस्स मुहमंडवस्स बहुमज्झदेसभाए तेणेव उवागकछह २त्ता लोमहस्थगं परामुसहरसा बहुमज्नदेसभागं लोभहत्येणं पमजइ २त्ता दिवाए दगधाराए अब्भुखेद २ सरसेण गोसीसचंदणं पंचंगुलितलं मंडलगं आलिहइ २ कयग्गाहगहिय जाय धूवं दलयात्ता जेय दाहिणिलस्स मुहमंडवस्स पचस्थिमिले दारे तेणेव उवागच्छदरता लोमहत्वगं परामुसइ २सा दारचेडीओ य सालिभंजियाओ य बालरूवए य लोमहत्येण पमहत्ता दिवाए दगधाराए सरसेगं गोसीसचंदण चञ्चए दलयइ २ पुष्फारुहण जाव आभरणामहणं करेह २ आसत्तोसत्ता कयगाहग्गहियं० धूवं दलयइ २त्ता जेणेव दाहिणिल्लमुहमंडवस्स उत्तरिला
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शाश्वत जिन-प्रतिमाया: पूजनं
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