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________________ आगम (११) भाग-१४ "विपाकश्रुत" - अंगसूत्र-११ (मूलं+वृत्ति:) श्रुतस्कंध: [१], ----------------------- अध्ययनं [४] ----------- --------- मूलं [२१] पूज्य आगमोद्धारकरी संशोधित: मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित..आगमसूत्र-[११], अंगसूत्र-[११] विपाकश्रुत" मूलं एवं अभयदेवसूरिरचिता वृत्ति: प्रत सूत्रांक [२१] विपाके साहंजणीए नयरीए सुदंसणाणामं गणिया होत्था वन्नओ, तत्व णं साहंजणीए नयरीए सुभद्दे नाम सत्थ- ४ शकटा. श्रुत०१ वाहे परिवसइ अडे, तस्स णं सुभद्दस्स सत्यवाहस्स भद्दानाम भारिया होत्था अहीण, तस्स णं सुभ॥६५॥ दसरथ पुत्ते भद्दाए भारियाए अत्तए सगडे नामं दारए होत्था अहीण, तेणं कालेणं तेणं समएणं स-II भवः मणे भगवं महावीरे समोसरणं परिसा राया य निग्गए धम्मो कहिओ परिसा पडिगया, तेणं कालेणं तेणं सू०१८ समएणं समणस्स जेटे अंतेवासी जाव रायमग्गमोगाडे तत्थ णं हत्थी आसे पुरिसे तेसिं च णं पुरिसाणं| | मज्झगए पासति एग सइत्थीयं पुरिसं अवउडगबंधणं उक्खित्त जाव घोसेणं चिंता तहेच जाव भगवं वागरेति, एवं खलु गोयमा! तेणं कालेणं तेणं समएणं इहेव जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे छगलपुरे नाम गरे होत्या, तत्थ सीहगिरिनाम राया होत्या महया , तत्थ णं छगलपुरे णगरे छणिए नामं छगलीए परिवसति अहे० अहम्मिए जाव दुप्पडियाणंदे, तस्स णं छणियस्स छगलियस्स बहवे अयाण य एलाण य रोज्झाण य वसभाण प ससयाण य सूयराण य पसयाण य सिंघाण य हरिणाण य मयूराण य महिसाण य सत बद्धाण य सहस्सबद्धाण य जूहाणि वाढगंसि सन्निरुद्धाई चिट्ठति, अन्ने य तत्थ यहवे पुरिसा दिन्नभइभ-18 भासवेयणा बहवे य अए जाच महिसे य सारक्षमाणा संगोवेमाणा चिटुंति, अण्णे य से वहवे पुरिसा अ|याण य जाव गिर्हसि निरुद्धा चिटुंति, अन्ने य से बहवे पुरिसा दिनभइ बहवे सयए य सहस्से य जीवि-IPu५॥ याओ ववरोविंति मंसाई कप्पिणीकप्पियाई करति छणीयस्स छगलीयस्स उवणेति, अन्ने य से बहवे पुरिसा दीप अनुक्रम [२४) SAREauratonintamanna अत्र मूल संपादने शीर्षक-स्थाने सूत्र-क्रमांकने एका स्खलना दृश्यते- यत् सू० २१ स्थाने सू० १८ इति क्रम मुद्रितं ~76~
SR No.035014
Book TitleSavruttik Aagam Sootraani 1 Part 14 Vipakshrut and Auppatik Mool evam Vrutti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherVardhaman Jain Agam Mandir Samstha Palitana
Publication Year2017
Total Pages384
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_vipakshrut
File Size81 MB
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