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________________ आगम (१२) भाग-१४ “औपपातिक" - उपांगसूत्र-१ (मूलं+वृत्ति:) ----------- मूलं [४१] पूज्य आगमोद्धारकरी संशोधित: मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित..आगमसूत्र-[११], अंगसूत्र-[११विपाकश्रुत” मूलं एवं अभयदेवसूरिरचिता वृत्ति: -- -- -- - -- -- --- - -- - औपपा- वेसेसुमन तिकम् ॥१०॥ प्रत सूत्रांक [४१] CRICT वेसेसु मणुया भवंति, तंजहा-अप्पारंभा अप्पपरिग्गहा धम्मिया धम्माणुया धम्मिा धम्मखाई धम्मप्प- जीवोप लोइया धम्मपलज्जणा धम्मसमुदायारा धम्मेणं चेव वित्तिं कप्पेमाणासुसीला सुध्वया सुप्पडियाणंदा साहूसाहिएकचाओ पाणाइवायाओ पडिविरया जावज्जीवाए एकचाओ अपडिविरया एवं जाव परिग्गहाओ' सू०४१ एकचाओ कोहाओ माणाओ मायाओ लोहाओ पेजाओ कलहाओ अभक्खाणाओ पेसुपणाओ परपरिवायाओअरतिरतीओमायामोसाओमिच्छादसणसल्लाओ पडिविरया जावजीवाए एकच्चाओ अपडिविरया,एकच्चाओ आरंभसमारंभाओ पडिविरया जावजीवाए एकच्चाओं अपडिविरया, एकच्चाओ करणकारावणाओ पडिविरया जायजीवाए एकचाओ अपडिविरया एगच्चाओपयणपयावणाओपडिविरया जावजीवाए एकचाओ |पयणपयावणाओ अपडिविरया, एकच्चाओ कोहणपिट्टणतजणतालणवहबंधपरिकिलेसाओ पडिविरया जावजी-4 वाए एकचाओ अपडिचिरया, एकचाओ पहाणमद्दणवण्णगविलेवणसहफरिसरसरूवगंधमलालंकाराओ पडिविरया जावजीवाए एकचाओ अपडिविरया, जेयावण्णे तहप्पगारा सावजजोगोवहिया कम्मंता परपा णपरियावणकरा कजंति तओ जाव एकचाओ अपडिविरया तंजहा-समणोवासगा भवंति, अभिगयजी वाजीवा उबलद्धपुषणपावा आसवसंवरनिजरकिरियाअहिगरणबंधमोक्खकुसला असहेज्जाओ देवासुर 16 ॥१०४॥ णागजक्खरक्खसकिन्नरकिंपुरिसगरुलगंधव्वमहोरगाइएहिं देवगणेहिं निग्गंधाओ पावयणाओ अणइक्कम १ प्रतिविरतापतिविरतत्वसूचनार्थमेष द्विकः, 25 दीप अनुक्रम ~347
SR No.035014
Book TitleSavruttik Aagam Sootraani 1 Part 14 Vipakshrut and Auppatik Mool evam Vrutti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherVardhaman Jain Agam Mandir Samstha Palitana
Publication Year2017
Total Pages384
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_vipakshrut
File Size81 MB
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