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आगम
(११)
भाग-१४ "विपाकश्रुत" - अंगसूत्र-११ (मूलं+वृत्तिः )
श्रुतस्कंध: [१], ----------------------- अध्ययनं [९] ----------- --------- मूलं [३१] पूज्य आगमोद्धारकश्री संशोधित: मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित..आगमसूत्र-[११], अंगसूत्र-[११] विपाकश्रुत" मूलं एवं अभयदेवसूरिरचिता वृत्ति:
॥८४॥
प्रत सूत्रांक
[३श
विपाके
वित्तवारसाहियाए विउलं असणं ४ जाव मित्तणाति णामधेनं करेंति तं होऊ णं दारिया देवदत्ता णा- देवदत्ता. मेणं, तए-णं सा देवदत्ता पंचधातीपरिगहिया जाव परिवहुति, तते णं सा देवदत्ता दारिया उम्मुकवाल- श्यामायाः भावा जोव्वणेण रूवेण लावण्णेण य जाव अतीव उक्किट्ठा उक्किट्ठसरीरा जाया याचि होत्था, तते णं सा देव-121 | सपत्नीना
दत्ता दारिया अन्नया कयाइ पहाया जाव विभूसिया बहुहिं खुजाहिं जाव परिक्खित्ता उपि आगासतलगंसि मृतिः श्वतकणगतिसेणं कीलमाणी विहरइ, इमं च णं वेसमणदत्ते राया पहाए जाब विभूसिए आसं दुरूहित्ता
बहहिं पुरिसेहिं सद्धिं संपरिखुडे आसवाहिणीयाए णिज्जायमाणे दत्तस्स गाहावास्स गिहस्स अदरसामतेणं सू०२१ विइवयति, तते णं से वेसमणे राया जाव विइवयमाणे देवदत्तं दारियं उप्पिं आगासतलगंसि कणगतिदूसेण य कीलमाणी पासति, देवदत्ताए दारियाए जुब्बणेण य लावण्णण य जाव बिम्हिए कोडंपियपुरिसे
सद्दावेति सहावेत्ता एवं वयासी-कस्स णं देवाणुप्पिया! एसा दारिया किंवा नामधेजेणं?, तते णं ते कोसाइंबियपुरिसा वेसमणरापं करयल. एवं बयासी-एस गं सामी! दत्तस्स सत्यवाहस्स धूआ कन्नसिरीए
भारियाए अत्तया देवदत्ता नाम दारिया रूपेण य जुब्बणेण य लावणेण य उकिट्ठा उकिट्ठसरीरा, तते णं से वेसमणे राया आसवाहणियाओ पडिनियत्ते समाणे अभितरद्वाणिज्जे पुरिसे सद्दावेद अम्भितरद्वाणिजे|F॥४॥ पुरिसे सहावेसा एवं वयासी-गच्छह णं तुम्भे देवाणुप्पिया! दत्तस्स धूयं कन्नसिरीए भारियाए असयं*
दीप अनुक्रम
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...अत्र मूल संपादने सूत्र-क्रमांकने एका स्खलना दृश्यते- यत् सू०३० स्थाने सू० ३१ इति क्रम मुद्रित, [मूल संपादनमें भूलसे सूत्र का क्रम ३० के बजाय ३१ छप गया है| इसिलिए हमे भी सूत्रक्रम- ३१ लिखना पड़ा है।
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