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________________ आगम (१०) भाग-[१३] “भाग-१३ “प्रश्नव्याकरणदशा" - अंगसूत्र-१० (मूलं+वृत्ति:) श्रुतस्कन्ध: [१], ----------------------- अध्ययनं [३] ----------------------- मूलं [११] पूज्य आगमोद्धारकरी संशोधित: मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित..आगमसूत्र- [१०], अंगसूत्र- [१०] "प्रश्नव्याकरणदशा” मूलं एवं अभयदेवसूरि-रचिता वृत्ति: प्रत सूत्रांक प्रश्वव्याक-हा र०श्रीअभयदेव० 159-45-5-15 ला३ अधर्म द्वारे अदसादानकारका सू०११ [११] कृत्तिः ॥४४॥ दीप बझा उद्दोहकगामघायपुरषायगपंथघायगभालीवगतित्थभेया लहुहस्थसंपउत्ता जइकरा खंडरक्खत्थीचोरपुरिसचोरसंधिच्छेया य गंथिभेदगपरधणहरणलोमावहारअक्खेवी हडकारका निम्मद्दगगूढचोरकगोचोरगअस्सचोरगदासिचोरा य एकचोरा ओकहकसंपदायकउच्छिपकसस्थधायकविलचोरी(कोली)कारका य निग्गाहविप्पलुंपगा बहुविहतेणिकहरणबुद्धी, एते अन्ने य एवमादी परस्स दवा हि जे अविरया। विपुलबलपरिग्गहा य बहवे रायाणो परधर्णमि गिद्धा सए व दवे असंतुट्ठा परविसए अहिहणंति ते लुद्धा परधणस्स कजे चउरंगविभत्तबलसमग्गा निच्छियवरजोहजुद्धसद्धियअहमहमितिदप्पिएहि सेन्नेहिं संपरिचुडा पउमसगडसूइचकसागरगरुलचूहातिएहिं अणिएहिं उत्थरंता अभिभूय हरंति परणाई अवरे रणसीसलद्धलक्खा संगामंमि अतिवयंति सन्नद्धबद्धपरियरखप्पीलियचिंधपट्टगहियाउहपहरणा माडिवरवम्मगुंडिया आविद्धजालिका कवयकंकडइया उरसिरमुहबद्धकंठतोणमाइतवरफलहरचितपहकरसरहसखरचावकरकरंछियसुनिसितसरवरिसचडकरकमुयंतषणचंडवेगधारानिवायमग्गे अणेगधणुमंडलम्गसंधिताउछलियसत्तिकणगवामकरगहियखेडगनिम्मलनिकिट्ठखग्गपहरंतकोंततोमरचक्कगयापरसुमुसललंगलसूललउलभिंडमालासम्बलपट्टिसचम्मेद्वदुषणमोडियमोग्गरवरफलिहजतपत्थरदुहणतोणकुवेणीपीढकलियईलीपहरणमिलिमिलिमिलतसिप्पंतविजुजलविरचितसमप्पाहणभतले फुडपहरणे महारणसंखभेरिवरसूरपउरपडुपहडायणिणायगंभीरणंदितपक्खुभियविपुलपोसे. हयगयरहजोहतुरितपसरितउद्धततमंधकारबहुले कातरनरणयणहिययवाउलकरे विलुलिय अनुक्रम [१५] -* ॥४४॥ * SAREauraton international ~289~
SR No.035013
Book TitleSavruttik Aagam Sootraani 1 Part 13 Upasakdasha Antkruddasha Anuttaropapatikdasha Prashnavyakaran Mool evam Vrutti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherVardhaman Jain Agam Mandir Samstha Palitana
Publication Year2017
Total Pages538
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_antkrutdasha
File Size118 MB
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