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________________ आगम (१०) भाग-[१३] “भाग-१३ “प्रश्नव्याकरणदशा" - अंगसूत्र-१० (मूलं+वृत्ति:) श्रुतस्क न्ध : [१], ----------------------- अध्य यन [२] ----------------------- मल [८] पूज्य आगमोद्धारकरी संशोधित: मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित..आगमसूत्र- [१०], अंगसूत्र- [१०] "प्रश्नव्याकरणदशा" मूलं एवं अभयदेवसूरि-रचिता वृत्ति: - २ अधर्मद्वारे प्रत प्रश्नब्याक २०श्रीअभयदेव वृत्तिः सूत्रांक मृषावादविपाक: सु०८ ॥४०॥ तस्स य अलियरस फलविवागं अयाणमाणा बढेति महाभयं अविस्सामवेयणं दीहकालं बहदक्खसंकर्ड नरयतिरियजोणिं तेण य अलिएण समणुबद्धा आइद्धा पुणभवंधकारे भमंति भीमे दुग्गतिवसहिमुवगया, ते य दीसंतिह दुग्गया दुरंता परयस्सा अस्थभोगपरिवजिया असुहिता फुडियच्छवित्रीभच्छवियन्ना खरफरसविरत्तशामझुसिरा निच्छाया लल्लविफलवाया असकतमसक्कया अगंधा अचेयणा दुभगा अर्कता काकस्सरा हीणभिन्नघोसा विहिंसा जडबहिरन्धया य मम्मणा अकंतविकयकरणा णीया णीयजणनिसेविणो लोगगरहणिज्जा भिच्चा असरिसजणस्स पेस्सा दुम्मेहा लोकवेदअज्झप्पसमयसुतिबज्जिया नरा धम्मबुद्धिवियला अलिएण य तेणं पडझमाणा असंतएण य अवमाणणपट्ठिमंसाहिक्खेवपिसुणभेयणगुरुबंधवसयण मित्तवक्खारणादियाई अब्भक्खाणाई बहुविहाई पावेंति अमणोरमाई हिययमणदमकाई जावजीवं दुरुद्धराई अणिहखरफरुसवयणतजणनिभच्छणदीणवदणविमणा कुभोयणा कुवाससा कुवसहीसु किलिस्संता नेव सुहं नेव निव्वुई उपलभंति अच्चंतविपुलदुक्खसयसंपलित्ता । एसो सो अलियवयणस्स फलविवाओ इहलोइओ परलोइओ अप्पसुहो बहुदुक्खो महमओ बहुरयप्पगाढो दारुणो ककसो असाओ बाससहस्सेहिं मुचइ, न य अवेदयित्ता अस्थि ह मोक्खोत्ति, एवमाहंसु नायकुलनंदणो महप्पा जिणो उ वीरवरनामधेजो कहेसी य अलियवयणस्स फलविवागं एयं तं वितीयपि अलियवयणं लहसगलहचवलभणियं भयंकर दुहकर अयसकर वेरकरगं अरतिरतिरागदोसमणसंकिलेसविरयणं अलियणियडिसादिजोगबहुलं नी अनुक्रम - [१२]] - - ॥४०॥ -- Santaram ~281~
SR No.035013
Book TitleSavruttik Aagam Sootraani 1 Part 13 Upasakdasha Antkruddasha Anuttaropapatikdasha Prashnavyakaran Mool evam Vrutti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherVardhaman Jain Agam Mandir Samstha Palitana
Publication Year2017
Total Pages538
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_antkrutdasha
File Size118 MB
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