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________________ आगम (०६) [भाग-१२] “ज्ञाताधर्मकथा" - अंगसूत्र-६ (मूलं+वृत्तिः ) श्रुतस्कन्ध: [१] ----------------- अध्ययनं [१], ----------------- मूलं [७९-८०] पूज्य आगमोद्धारकरी संशोधित: मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित..आगमसूत्र-[०६] अंगसूत्र-[०६] "ज्ञाताधर्मकथा" मूलं एवं अभयदेवसूरि-रचिता वृत्ति: सूत्रांक [७९-८०] दीप अनुक्रम [११०-११२] भविजा विजाहरकन्नगाविव पलायमाणीविव महागालवेगवित्तासिया भुयगवरकन्नगा धावमाणीविव महाजणरसियसहवित्तत्था ठाणभट्ठा आसकिसोरी णिगुंजमाणीविव गुरुजणदिहावराहा सुयणकुलकन्नगा घुम्ममाणीविव वीचीपहारसततालिया गलियलंयणाविव गगणतलाओ रोयमाणीविष सलिलगद्विविप्पहरमाणघोरंसुवाएहिं णवबहू उधरतभत्तुया बिलबमाणीविष परचकरायाभिरोहिया परममहन्मयाभिदुया महापुरवरी झायमाणीविच कवडच्छोमप्पओगजुत्ता जोगपरिवाइया णिसासमाणीविव महाकतारविणिग्गयपरिस्संता परिणयवया अम्मया सोयमाणीविव तवचरणखीणपरिभोगा चयणकाले देववरबहू संचुषिणयकट्ठकूवरा भग्गमेडिमोडियसहस्समाला मूलाइयवंकपरिमासा फलहंतरतडतडेंतफुतसंधिवियलंतलोहकीलिया सवंगवियंभिया परिसडियरज्जुविसरंतसवगत्ता आमगमल्लगभूया अकयपुण्णजणमणोरहोविव चिंतिजमाणगुरुई हाहाकयकपणधारणाचियवाणियगजणकम्मगारविलविया णाणाविहरयणपणियसंपुण्णा बहहिं पुरिससएहिं रोयमाणेहिं कंद० सोय. तिप्प० विलवमाणेहिं एगं महं अंतो जलगयं गिरिसिहरमासायइत्ता संभग्गकूवतोरणा मोडियझयदंडा वलयसयखंडिया करकरस्स तत्थेव विदय उवगया, तते णं तीए णावाए भिजमाणीए बहवे पुरिसा विपुलपडियं भंडमायाए अंतो जलंमि णिमज्जावि यावि होत्था (सूत्रं७९) तते णं ते मागंदियदारगा छेया दक्खा पसट्ठा कुसला मेहावी पिउणसिप्पोवगया बहुसु पोतवहणसंपराएसु कयकरणलद्धविजया अमूढा अमूढहत्था ~323
SR No.035012
Book TitleSavruttik Aagam Sootraani 1 Part 12 Gyatadharmkatha Mool evam Vrutti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherVardhaman Jain Agam Mandir Samstha Palitana
Publication Year2017
Total Pages522
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_gyatadharmkatha
File Size113 MB
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