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आगम (०५)
[भाग-१०] "भगवती"-अंगसूत्र-५ (मूलं+वृत्ति:)
शतक [१२], वर्ग [-], अंतर्-शतक [-1, उद्देशक [१०], मूलं [४६७-४६८] पूज्य आगमोद्धारकरी संशोधित: मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित..आगमसूत्र- [०५] अंगसूत्र- [०५] "भगवती" मूलं एवं अभयदेवसूरि-रचिता वृत्ति:
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प्रत सूत्रांक [४६७-४६८]
नवमोदेचाके देवा उकास्ते चात्मन इत्यात्मस्वरूपस्य भेदतो निरूपणाय दशमोद्देशकमाह, तस्य चेदमादिसूत्रम्काविहा णं मंते | आया पण्णता ?, गोयमा ! अट्ठविहा आया पण्णत्ता, संजहा-दवियाया कसायायां योगाया उवभोगाया णाणाया दंसणाया चरित्ताया वीरियाया ॥ जस्स गं भंते ! दवियाया तस्स कसाया
या जस्स कसायाया तस्स दवियाया ?, गोयमा ! जस्स दवियाया तस्स कसायाया सिय अस्थि सिय नस्थि लजस्स पुण कसायाया तस्स दवियाया नियम अस्थि ।जस्स णं भंते ! दवियाया तस्स जोगाया एवं जहा। |दवियाया कसायाया भणिया तहा दवियाया जोगाया भाणियवा । जस्स गंभंते ! दवियाया तस्स उपओ-| गाया एवं सवत्थ पुच्छा भाणियचा, गोयमा ! जस्स दबियाया तत्स उवओगाया नियमं अस्थि, जस्सवि उवओगाया तस्सवि दवियाया नियमं अस्थि, जस्स दवियाया तस्स णाणाया भयणाए जस्स पुण णाणाया तस्स दबियाया नियमं अस्थि, जस्स दवियाया तस्स देसणाया नियम अस्थि जस्सवि दंसणाया तस्स दवियाया नियम अस्थि, जस्स दरियाया तस्स चरित्ताया भयणाए जस्स पुण चरित्ताया तस्स दवियाया। नियम अस्थि, एवं वीरियायाएवि समं । जस्स गंभंते ! कसायाया तस्स जोगाया पुच्छा, गोयमा !! जस्स कसायाया तस्स जोगाया नियम अस्थि, जस्स पुण जोगाया तस्स कसायाया सिय अस्थि | सिय नत्थि, एवं उवओगायाएवि समं कसायाया नेयचा, कसायाया य णाणाया ये परोप्परं दोवि | भइयवाओ, जहा कसायाया य उवओगाया य तहा कसायाया य दंसणाया य कसायाया य चरित्ताया
दीप अनुक्रम [५६०-५६१]
19575315
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अथ द्वादशमे शतके दशम-उद्देशक: आरभ्यते
'आत्मा' शब्दस्य अर्थ एवं तस्य द्रव्यात्मा आदि अष्ट-भेदा:
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